भारत के केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वर्ष 2013 में मंगल ग्रह की कक्षा में उपग्रह को भेजने के अंतरिक्ष विभाग के प्रस्ताव को स्वीकृति दी. भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में 3 अगस्त 2012 को यह स्वीकृति दी गई. मंगल मिशन के तहत इस ग्रह पर मौजूद वातावरण का अध्ययन किया जाना है.
श्रीहरिकोटा से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा नवंबर 2013 में 25 किलो वाले साइंटिफिक पैलोड के साथ एक मार्स आर्बिटर का प्रक्षेपण किया जाना है. मंगल मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वारहार्स रॉकेट (पीएसएलवी) के विस्तारित संस्करण से भेजा जाएगा. यह आर्बिटर मंगल ग्रह के चारों ओर करीब 500 गुणा 80 हजार किमी की परिधि में चक्कर लगाएगा. इस आर्बिटर का उद्देश्य मंगल ग्रह के वातावरण जियोलॉजी, उत्पत्ति, विकास और वहां पर जीवन की संभावनाओं का पता लगाना है.
मंगल पर अब तक 42 मिशन भेजे जा चुके हैं. इनमें से आधे ही सफल हुए हैं. यह मिशन अमेरिका, रूस, फ्रांस, चीन और कुछ दूसरे यूरोपीय देशों ने भेजे हैं. कुछ ही दिनों में अमेरिकी अंतरिक्ष यान मार्च साइंस लेबोरेटरी मंगल पर पहुंचेगा. इसे ढाई अरब डॉलर (लगभग 137.5 अरब रुपए) की लागत से तैयार किया गया है.
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