मालाबार नौसेना अभ्यास 2014 प्रशांत महासागर में 24 जुलाई से 30 जुलाई 2014 के बीच आयोजित किया गया. मालाबार नौसेना अभ्यास 2014 इस श्रृंखला का 18वां संस्करण था जो बहुराष्ट्रीय समुद्री संबंधों और आपसी सुरक्षा के मुद्दों को बढ़ाने के लिए आयोजित किया गया. वर्ष 2007 में पहली बार इस अभ्यास का हिस्सा बनने वाला जापान तीसरी बार इसमें हिस्सा ले रहा था.
इस अभ्यास की मुख्य बातें
इस अभ्यास में तट पर और समुद्र में, दोनों ही जगहों पर प्रशिक्षण की सुविधा होगी. 24 जुलाई से 26 जुलाई 2014 तक जापान के टोक्यो के पोर्ट सासेबो में तट पर प्रशिक्षण दिया गया.
इस अभ्यास में विषय विशेषज्ञ और कैरियर स्ट्राइक ग्रुप ऑपरेशन पर पेशेवर आदान– प्रदान, समुद्री निगरानी और टोही अभियान, एंटी पायरेसी ऑपरेशन और विजिट, बोर्ड, सर्च एंड सीजर (वीबीएसएस) ऑपरेशन शामिल थे.
भारतीय नौसेना के तीन जहाज–आईएनएस रणविजय (मिसाइल विध्वंसक), आईएनएस शिवालिक (रडार से बच निकलने वाला पोत) और आईएनएस शक्ति (बेड़ा टैंकर) इस अभ्यास में हिस्सा लेने 23 जुलाई 2014 को जापान के सासेबो पोर्ट पहुंचे थे.
समुद्र में होने वाला अभ्यास 27 जुलाई से 30 जुलाई 2014 को पश्चिमी प्रशांत महासागर में आयोजित किया गया. इस चरण में खोज और बचाव अभ्यास, हेलीकॉप्टर क्रॉस–डेक लैंडिंग, राह में भराई, तोपखाना और पनडुब्बी रोधी युद्ध अभ्यास, विजिट, बोर्ड, सर्च एंड सीज ऑपरेशन(वीबीएसएस) और संपर्क अधिकारी का आदान–प्रदान और आरोहण शामिल था.
भागीदार देशों की नौसेनाओं के बीच समुद्री सहयोग को बढ़ाने के लिए बनाए गए इस अभ्यास से देशों की बहु–राष्ट्रीय वातावरण में ऐसे संचालन करने की क्षमता का भी विकास होगा.
अभ्यास में हिस्सा लेने वाले देश
भारत, जापान और अमेरिका की नौसेनाएं इस अभ्यास में हिस्सा लेगीं जिससे इन नौसेनाओं के बीच समझदारी का स्तर बढ़ाने में मदद मिलेगी.
अमेरिकी नौसेना से एक पनडुब्बी (एसएसएन), दो विध्वंसक, एक एमआर विमान के साथ एक टैंकर भाग लेगा. एक अमेरिकी करियर स्ट्राइक ग्रुप (सीएसजी) के समुद्री चरण अभ्यास में हिस्सा लिया.
मालाबार अभ्यास के बारे में
यह एक संयुक्त नौसेना अभ्यास है जो पहली बार वर्ष 1992 में भारत और अमेरिकी नौसेनाओं के बीच आयोजित किया गया था. जब वर्ष 2007 में इस अभ्यास का आयोजन बंगाल की खाड़ी में हुआ तो इसका विस्तार किया गया और इसमें ऑस्ट्रेलिया, जापान और सिंगापुर की नौसेनाओं को शामिल किया गया. इसके बाद से चीन के विरोध के कारण भारत ने मालाबार अभ्यास को सीमित कर दिया.
मालाबार अभ्यास वर्ष 1998 में भारत के पोखरण II परमाणु परीक्षण के बाद संक्षिप्त अवधि के लिए आयोजित नहीं किया गया था.
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