भारत ने नए चीनी दूतावास के कार्यक्षेत्र से तिब्बत को अलग रखने की घोषणा 20 मई 2015 को की. इसके तहत चीन के ‘चेंगदू’ शहर में भारत का नया दूतावास खुलने पर तिब्बत इसके कार्य क्षेत्र से बाहर रहेगा. भारत के इस निर्णय को चीन से दोस्ती बढ़ाने के क्रम में माना जा रहा है.
चीन की तर्ज पर भारत ने भी कर्नाटक को चेन्नई में खुलने वाले चीनी दूतावास के कार्य क्षेत्र से बाहर रखा है. यह सहमति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चीन दौरे पर बनी.
विदित हो कि चेंगदू स्थित भारतीय दूतावास सिजुआन, युन्नान, गुईझाओ राज्य व चूंगचींग नगरपालिका क्षेत्र को देखेगा. हालांकि, भारत तिब्बत की प्रांतीय राजधानी लहासा में अपना तीसरा दूतावास खोलने का इच्छुक था, लेकिन चीन इस पर सहमत नहीं हुआ. चेन्नई में खुलने वाला चीनी दूतावास तमिलनाडु, केरल व आंध्रप्रदेश में ही अपनी गतिविधि कर सकेगा. दिल्ली के अतिरिक्त कोलकाता व मुंबई में उसके दूतावास पहले से ही कार्य कर रहे हैं. इसी तरह भारत ने भी बीजिंग के अलावा शंघाई व गुआंगजौ में अपने दूतावास खोल रखे हैं. हांगकांग में भी भारत का दूतावास है. विदित हो कि चीन के लिए तिब्बत हमेशा से ही काफी संवेदनशील मुद्दा रहा है.
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