खेल मध्यस्थता न्यायालय(सीएएस) ने 27 जुलाई 2015 में भारतीय महिला एथलीट दुती चंद को तत्काल प्रभाव से महिलाओं की प्रतिस्पर्धा में भाग लेने अनुमति प्रदान की है.
यह ऐतिहासिक निर्णय न्यायधीश ऐनाबेले क्लेयर बेनेट की अध्यक्षता में दिया गया. भारतीय एथलेटिक्स महासंघ और अंतरराष्ट्रीय महासंघों के एथलेटिक्स संघ (आईएएएफ) के बीच मध्यस्थता प्रक्रिया पर अंतरिम आदेश देते हुए सीएएस ने वर्ल्ड एथलेटिक्स संस्था के हाइपर एंड्रोजेनिज्म से संबंधित नियम को दो साल के निलंबित कर दिया.
इसके साथ सीएएस ने दुती को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने की अनुमति भी दे दी है.
पिछले वर्ष जुलाई माह में लगे इस प्रतिबन्ध के कारण अंडर-18 चैंपियन दुती एशियाड और कॉमनवेल्थ गेम्स नहीं खेल सकी थीं . दुती ने खुद पर लगे प्रतिबन्ध के खिलाफ अपील की जिसे सीएएस ने आंशिक तौर पर सही पाया.
दुती पर पुरुष होने का आरोप था. इसे वैज्ञानिक शब्दावली में हाइपर एंड्रोजेनिज्म कहते हैं. यदि आईएएएफ कैस पैनल द्वारा दिए गए दो वर्ष की समय सीमा में कोई वैज्ञानिक सबूत पेश नहीं करता तो हाइपर एंड्रोजेनिज्म नियम को खत्म माना जाएगा.
क्या है हाइपर एंड्रोजेनिज्म
हाइपर एंड्रोजेनिज्म एक ऐसी स्थिति है जिसमें महिलाओं में पुरुषों वाले लक्षण पाए जाते हैं. इस स्थिति में शरीर में टेस्टोस्टेरोन अत्यधिक मात्रा में बनता है.
दुती चंद के टेस्ट में यह अधिक मात्रा में पाया गया था जिसके कारण पिछले वर्ष कॉमनवेल्थ गेम्स से ठीक पहले उनपर प्रतिबंध लगाया गया.
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