भारतीय रिजर्व बैंक ने निजी क्षेत्र के बैंकों के प्रबंध निदेशक (एम.डी.) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) हेतु अधिकतम उम्र सीमा 70 वर्ष करने का फैसला 9 सितंबर 2014 को किया.
कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 196 (3) के तहत, यह निर्धारित किया गया है कि कोई भी कंपनी 21 वर्ष से कम और 70 वर्ष की उम्र पूरी कर चुके किसी भी व्यक्ति को बतौर प्रबंध निदेश, पूर्णकालिक निदेशक या प्रबंधक नियुक्त नहीं कर सकता.
हालांकि, बैंकों के व्यक्तिगत बोर्डों को बतौर आंतरिक नीति डब्ल्यूटीडी जिसमें एमडी और सीआओ भी शामिल हैं, के लिए न्यूनतम सेवानिवृत्ति उम्र निर्धारित करने की आजादी है.
इससे पहले, उपरी उम्र सीमा निर्धारित नहीं थी और फैसले मामले के आधार पर किए जा रहे थे.
पी जे नायक समिति ने निजी बैंकों के सीईओ के लिए अधिकतम उम्र 65 वर्ष करने की सिफारिश की थी. समिति का गठन बैंकों के बोर्डों के शासन की समीक्षा के लिए किया गया था. इस समिति ने अपनी रिपोर्ट मई 2014 में सौंपी थी.
पृष्ठभूमि
यह मामला इंडसइंड बैंक द्वारा सोबती के कार्यकाल को और तीन वर्ष बढ़ाए जाने के बाद सामने आया. सोबती इंडसइंड बैंक के एमडी और सीईओ हैं. हालांकि, आरबीआई ने कार्यकाल को सिर्फ एक वर्ष बढ़ाए जाने की अनुमति दी. इस कदम से अटकलें लगाई जाने लगी कि आरबीआई सेवानिवृत्ति की उम्र 65 वर्ष करना चाहती है.
सेवानिवृत्ति का यह मुद्दा सिर्फ निजी क्षेत्र के बैंकों के लिए लागू होता है क्योंकि सभी सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए सेवानिवृत्ति का आयु 60 वर्ष निर्धारित है. बैंकिंग में एक मात्र अपवाद आरबीआई के डिप्टी गवर्नर होते हैं जिनकी सेवानिवृत्ति की अधिकतम उम्र सीमा 62 वर्ष और गवर्नर की उम्र सीमा 65 वर्ष है.
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