भारतीय रिज़र्व बैंक ने दीपक मोहंती की अध्यक्षता में 14 सदस्यीय एक समिति का गठन 15 जुलाई 2015 को किया. इसका उद्देश्य वित्तीय समावेशन की मध्यावधि (पांच वर्ष) बृहत कार्ययोजना तैयार करना है. दीपक मोहंती भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्यपालक निदेशक हैं.
समिति आवश्यक समझे जाने पर विभिन्न स्टेकधारकों/समूहों/संस्थाओं/विशेषज्ञों से परामर्श कर सकती है.
समिति से अपनी रिपोर्ट इसकी पहली बैठक की तारीख से चार महीनों के अंदर प्रस्तुत करना अपेक्षित है.
समिति के विचारार्थ विषय
• पूर्व में गठित विभिन्न समितियों द्वारा की गई सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए वर्तमान वित्तीय समावेशन नीति की समीक्षा करना जिसमें सहायक भुगतान प्रणाली और ग्राहक संरक्षण ढांचा शामिल है.
• वित्तीय समावेशन के लिए देश पार अनुभवों का अध्ययन, विशेषकर प्रौद्योगिकी आधारित प्रदायगी मॉडलों के क्षेत्र में मुख्य जानकारी प्राप्त करना जिसका प्रयोग हमारी नीतियों और प्रथाओं में किया जा सके।
• अंतर्निहित नीति और संस्थागत ढांचे को स्पष्ट करना जिसमें ग्राहक संरक्षण और वित्तीय साक्षरता वित्तीय समावेशन के प्रदायगी तंत्र को कवर किया गया हो, वित्तीय समावेशन में घरेलू और लघु कारोबार को शामिल किया जाए जिसमें समूह आधारित ऋण प्रदायगी व्यवस्था के साथ ग्रामीण समावेशन पर विशेषरूप से जोर दिया जाए।
• वित्तीय समावेशन के विभिन्न घटकों जैसे भुगतान, जमाराशि, ऋण, सामाजिक सुरक्षा अंतरण, पेंशन और बीमा के संबंध में निगरानी योग्य मध्यावधि कार्ययोजना का सुझाव देना।
• अन्य संबंधित मुद्दों की जांच करना.
यह याद होगा विदित हो कि भारतीय रिज़र्व बैंक की 80वीं वर्षगांठ के अवसर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में भारतीय रिज़र्व बैंक से आग्रह किया था कि भारतीय रिज़र्व बैक वित्तीय संस्थाओं को प्रोत्साहन देने और संधारणीय समावेशन के लिए दीर्घावधि लक्ष्य निर्धारित करने के लिए अग्रणी भूमिका निभाए.
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