भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने विदेशी निवेशकों को साउथ इंडियन बैंक के शेयर खरीदने की अनुमति प्रदान की. इसका कारण बैंक में विदेशी शेयरधारिता एफडीआई-नीति में उल्लिखित निर्धारित सीमा से कम होना है.
आरबीआई के अनुसार विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई), भारतीय मूल के लोगों (पीआईओ) और अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) को पोर्टफोलियो निवेश योजना (पीआईएस) के द्वारा भारत के प्राथमिक और गौण बाजारों में निवेश करने की अनुमति दी गई है. साउथ इंडियन बैंक की ईक्विटी प्राथमिक बाजार और शेयर बाजारों के मार्फ़त भी खरीदे जाने का भी प्रावधान किया गया है.
एफआईआई, पीआईओ और एनआरआई लोगों द्वारा भारतीय कंपनियों में निवेश की सीमाओं पर भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) द्वारा दैनिक आधार पर नजर रखी जाती है. कारगर निगरानी के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) द्वारा नियत विदेशी निवेश सीमा वास्तविक सीमाओं से दो प्रतिशत कम है.
साउथ इंडियन बैंक के बारे में
साउथ इंडियन बैंक दक्षिण भारत के सबसे पहले लांच हुए बैंकों में से एक है. यह 1905 से 1911 तक चले स्वदेशी-आंदोलन के दौरान अस्तित्व में आया. इसका सृजन एक ओर समाज की बचतों की सेवोन्मुख रिपोजिटरी के रूप में काम करने और दूसरी ओर व्यवसायी-समाज को वाजिब ब्याज-दरों पर आवश्यकता-आधारित ऋण उपलब्ध करवाकर उन्हें महाजनों के चंगुल से छुड़ाने के उद्देश्य से किया गया था.
• साउथ इंडियन बैंक 1946 में भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम के तहत अनुसूचित बैंक बनने वाले केरल के निजी बैंकों में से एक है.
• साउथ इंडियन बैंक अप्रैल 1992 में रिज़र्व बैंक की ओर से करेंसी चेस्ट खोलने वाला निजी क्षेत्र का पहला बैंक है.
• साउथ इंडियन बैंक नवंबर 1992 में एक एनआरआई शाखा खोलने वाला निजी क्षेत्र का पहला बैंक है.
• साउथ इंडियन बैंक मार्च 1993 में एक औद्योगिक वित्त शाखा खोलने वाला निजी क्षेत्र का पहला बैंक है.
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