भारतीय वैज्ञानिकों के एक दल ने 14 मई 2015 को पश्चिमी घाट में कैंसर रोधी गुणों वाला ‘मिक्वेलिए डेंटते बड्ड’ नामक दुर्लभ पौधे की खोज की. यह पौधा कैंसर जैसी घातक बीमारी के इलाज में संभावनाओं के नए द्वार खोल सकता है.
इस पौधे का वानस्पतिक नाम ‘मिक्वेलिए डेंटते बड्ड’ है, जो एक छोटी लता झाड़ी है और कैंसर रोधी एल्केलॉइड ‘कैंपटोथेसिन’ (सीपीटी) उत्पन्न करता है. यह कर्नाटक के कोदागु में मेदिकेरी जंगल में कहीं-कहीं पाया जाता है.
बेंगलुरू के अशोका ट्रस्ट फॉर रिसर्च इन इकोलॉजी एंड एन्वायरमेंट तथा बेंगलुरू और धारवाड़ के युनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज के वैज्ञानिकों के दल ने इस दुर्लभ पौधे की खोज की.
कैंपटोथेसीन एक महत्वपूर्ण कैंसर रोधी यौगिक है, जो एस्टेरीड क्लेड की विभिन्न प्रजातियों के पौधों से प्राप्त किया जाता है.
सीपीटी से कई अर्ध कृत्रिम दवाएं जैसे हाइकैंपटिन (टोपोटिकैन) तथा कैंपटोस्टार (ईरिनोटिकैन या सीपीटी11) प्राप्त किया गया है, जिसका इस्तेमाल अंडाशय तथा फेफड़े के कैंसर के इलाज में किया जा रहा है.
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