भितरकनिका वन्यजीव अभयारण्य में मैन्ग्रोव वनस्पतियों का अनाच्छादन दर्ज

Jun 11, 2015, 10:45 IST

मैन्ग्रोव फारेस्ट डिवीज़न (एमएफडी) ने जून 2015 के प्रथम सप्ताह में पाया कि ओडिशा के भितरकनिका वन्यजीव अभयारण्य के एक बड़े भाग में मैन्ग्रोव वनस्पति का अनाच्छादन हो रहा है

मैन्ग्रोव फारेस्ट डिवीज़न (एमएफडी) ने जून 2015 के प्रथम सप्ताह में पाया कि ओडिशा के भितरकनिका वन्यजीव अभयारण्य के एक बड़े भाग में मैन्ग्रोव वनस्पति का अनाच्छादन हो रहा है जिससे यहां मौजूद लवणता के कारण क्षेत्र में सूखा बढ़ रहा है.

भितरकनिका वन्यजीव अभयारण्य भारत के विशालतम मगरमच्छ निवास स्थलों में से एक है तथा यह वनस्पति यहां की तटीय पारिस्थितिकी प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण है.


एमएफडी के अनुसार इस प्रकार के सूखे तथा निर्जन स्थानों को भितरकनिका में पाया गया है जिसका आकार 1700 एकड़ बढ़ चुका है. मधादिया क्षेत्र में देखे गए ऐसे क्षेत्र का आकार 30 एकड़ तक हो सकता है.

अनाच्छादन की यह प्रक्रिया एविसेनिया तथा एक्सकोएसारिया वनस्पतियों वाले क्षेत्र में पायी गयी, इन्हें बानी और गुआन के रूप में जाना जाता है.

अनाच्छादन (रिक्त संरचनाओं) के कारण निम्नलिखित परेशानियां आ सकती हैं:

मैन्ग्रोव केवल पारिस्थितिकी तंत्र के लिए ही लाभदायक नहीं हैं बल्कि तटीय वनस्पति और जीव मंडल में सहयोगी भूमिका निभाते हैं.

अत्यधिक लवणता के कारण मौजूदा वनस्पति समाप्त हो रही है तथा क्षेत्र में रिक्त स्थान बढ़ता जा रहा है.

अधिकतर मैन्ग्रोव में 5 पीपीटी से 35 पीपीटी के बीच लवणता प्रतिरोधक क्षमता होती है. केवल एविसेनिया प्रजाति 70 पीपीटी तक लवणता का प्रतिरोध कर सकती है.

इससे पहले भारत सरकार की वन सर्वेक्षण रिपोर्ट-2013 के अनुसार राज्य में मैन्ग्रोव का क्षेत्रफल 222 वर्ग किलोमीटर से घटकर 213 वर्ग किलोमीटर रह जाने की बात कही गयी थी.

भितरकनिका वन्यजीव अभयारण्य

अप्रैल 1975 में ओडिशा राज्य सरकार द्वारा राज कनिका के जमींदारी वनों को भितरकनिका वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया.


बाद में वर्ष 1998 में इसके पारिस्थितिकीय, जीव, पुष्प तथा भौगोलिक महत्व के कारण इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित कर दिया गया.

अगस्त 2002 में इसे दूसरे रामसर क्षेत्र (अंतरराष्ट्रीय महत्व का वेटलैंड) के रूप में नामित किया गया.

मुख्य विशेषताएं

इस क्षेत्र में भारतीय उप-महाद्वीप के सबसे अधिक खारे पानी के मगरमच्छ पाए जाते हैं.

भितरकनिका का प्रसिद्ध गहिरमाथा तट विश्व में कछुओं के कारण विशेष स्थान रखता है, यहां ओलिव रिडली नामक समुद्री कछुए पाए जाते हैं.

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Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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