मध्य प्रदेश को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी अधिनियम 2005 (MGNREGA) के तहत किए गए श्रेष्ठ कार्यो के लिए दसवां राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया.
केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री वीरेन्द्र सिंह ने नई दिल्ली में मनरेगा सम्मेलन में राज्य के पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव को यह पुरस्कार 2 फरवरी 2015 को प्रदान किया.
मध्यप्रदेश को यह पुरस्कार मनरेगा और अन्य योजनाओं के अभिसरण से स्थायी आजीविका के अवसर उपलब्ध कराने और स्थायी परिसम्पत्तियों के निर्माण में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए दिया गया.
मनरेगा कन्वर्जन से स्थायी सम्पत्तियों के निर्माण में मध्यप्रदेश देश में पहले स्थान पर है. राज्य में मनरेगा से 74 प्रतिशत स्थायी परिसम्पत्तियों का निर्माण हुआ है.
प्रदेश में कुल एक करोड़ दो लाख परिवारों के पास मनरेगा रोजगार कार्ड हैं.
179 करोड़ 11 लाख रोजगार मानव दिवस का सृजन किया गया. इसमें से 77 करोड़ 36 लाख रोजगार मानव दिवस महिलाओं के लिए उपलब्ध कराया गया है.
मनरेगा श्रमिकों को मजदूरी के त्वरित भुगतान और हिसाब-किताब में पारदर्शिता के उद्देश्य से राज्य में अप्रैल 2014 से इलेक्ट्रोनिक फंड मैंनेजमेंट व्यवस्था लागू की गई है.
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 को संसद द्वारा 23 अगस्त 2005 को पारित किया गया था और यह 7 सितम्बर 2005 को लागू किया गया. इस अधिनियम के आधार पर राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का डा. मनमोहन सिहं ने 2 फरवरी 2006 को शुभारंभ किया. प्रारंभ में इसे देश के 200 जिलों में लागू किया गया. उसके बाद 1 अप्रैल 2008 से देश के सभी जिलों में लागू किया गया.
इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के परिवारों की आजीविका सुरक्षा को बढ़ाना है. इसके तहत हर घर के एक वयस्क सदस्य को एक वित्त वर्ष में कम से कम 100 दिनों का रोजगार दिए जाने की गारंटी है.
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