मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 3 नवम्बर 2015 को कृषि और किसानों को भविष्य में सूखे के संकट से बचाने और कृषि को लाभदायी बनाने के उद्देश्य से कृषि के नये रोड मेप को अंतिम रूप दिया.
प्रशासन अकादमी में कृषि मंथन में खेती को लाभदायी और सक्षम बनाने के लिये विभिन्न विकल्प और उपायों पर विचार कर अनुशंसा देने के लिये भारतीय प्रशासनिक सेवा, पुलिस सेवा और वन सेवा के वरिष्ठ अधिकारियों के गठित समूहों ने अपने-अपने सुझाव दिये. उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर इन अधिकारियों ने गाँवों का दौरा कर फसलों के नुकसान और किसानों की हालत का जायजा लिया था. मैदानी अनुभव एवं कृषि विशेषज्ञों के सुझाव के आधार पर खेती का रोड मेप तैयार करने की अनुसंशाएँ सौंपी गई.
मुख्यमंत्री ने कृषि विशेषज्ञों और समूहों की अनुशंसा में से तत्काल लागू करने योग्य अनुशंसाओं की कार्य-योजना बनाने के निर्देश दिये. कृषि के नये रोड मेप के अनुसार पुलिस, प्रशासनिक और वन सेवा के वरिष्ठ अधिकारी तीन माह में एक बार गाँव का भ्रमण करेंगे. वे योजनाओं के क्रियान्वयन की रिपोर्ट सरकार को देंगे और मौके पर ही समस्याओं का निराकरण भी करेंगे. यह एक नियमित प्रशासकीय प्रक्रिया होगी.
रोड माप के मुख्य बिंदु
• मार्च 2017 तक सभी किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिये जायेंगे।
• किसानों को बिजली के स्थाई कनेक्शन देने की व्यवस्था की जाएगी. इसके लिये एक अभियान चलाया जाएगा.
• किसानों को सोलर पम्प लगाने के लिये प्रोत्साहित किया जायेगा. इसके लिये उन्हें अनुदान भी दिया जाएगा.
• उद्यानिकी और कृषि उत्पाद के निर्यात को बढ़ावा देने के लिये राज्य स्तरीय संस्था का गठन किया जायेगा. यह संस्था भारत सरकार की एपीडा संस्था की तरह कार्य करेगी.
• किसानों के लिये चल रही छोटी-छोटी अनुदान योजनाओं को समाप्त कर बड़ी योजनाओं में समाहित किया जाएगा.
• सभी किसानों को को-ऑपरेटिव सोसायटी के नेटवर्क में लाने के लिये अभियान चलाया जाएगा.
• लीज या किराये पर खेती की भूमि देने और लेने की प्रक्रिया को कानूनी रूप देने के लिये भू-राजस्व संहिता में उपयुक्त संशोधन किया जाएगा.
• 23 हजार ग्राम पंचायत में से प्रत्येक में एक खाद्य प्र-संस्करण इकाई स्थापित की जायेगी. इससे स्थानीय स्तर पर उपलब्ध उत्पाद का मूल्य संवर्धन होगा. मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना में स्थानीय युवाओं को इसके लिये प्रोत्साहित किया जायेगा. उन्हें आवश्यक वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण दिया जाएगा.
• मिल्क रूट में वृद्धि करने के साथ ही सब्जी, फल और पुष्प रूट भी विकसित किये जायेंगे. साथ ही उनके फेडरेशन बनाये जायेंगे.
• अब डेरी इकाई स्थापित करने के लिये कम से कम पाँच गाय या भैंस दी जायेगी ताकि यह फायदे का धंधा बने.
• मंडियों में फल-सब्जी के लिये अलग से स्थान होगा. हर जिले में फल-सब्जी की एक आधुनिक सुविधायुक्त आदर्श मंडी होगी. मंडियों में अनावश्यक ज्यादा आढ़त काटने वालों पर सख्त कार्रवाई की जायेगी.
• पानी बचाने के लिये अगले तीन साल में सघन अभियान चलेगा. अभियान में नई संरचनाएँ बनाई जायेंगी और पुरानी संरचनाओं में सुधार होगा.
• ड्रिप सिंचाई और माइक्रो इरीगेशन को प्रोत्साहित करने की मॉडल योजना बनाई जाएगी. इस पर अनुदान देने का भी मॉडल फार्मूला बनाया जाएगा. हर जिले में आदर्श प्रदर्शन प्रक्षेत्र विकसित होगा. किसानों को क्षेत्र विशेष की फसल लगाने के लिये प्रोत्साहित किया जायेगा.
• खेती को आधुनिक बनाने के लिये मैदानी कृषि अमले को प्रशिक्षित किया जायेगा। कृषि विज्ञान केन्द्रों को सुदृढ़ बनाया जायेगा और कृषि स्नातकों को भी इससे जोड़ा जायेगा।
• प्रत्येक ग्राम पंचायत में स्व-चालित वर्षा मापक यंत्र लगाया जाएगा.
• पोस्ट हार्वेस्ट मेनेजमेंट इंस्टीट्यूट की स्थापना की जायेगी, ताकि कृषि उत्पादों का मूल्य संवर्धन हो सके.
• एग्रो फारेस्ट्री के लिये अलग से नीति बनाई जाएगी.
• पशुपालन, मछलीपालन पर आधारित आदर्श योजनाएँ बनाई जाएगी.
• किसानों को खेती संबंधी आवश्यक जानकारी देने के लिये एस.एम.एस. सेवा शुरू की जाएगी.भविष्य में मोबाइल एप्लीकेशन भी बनाई जाएगी.
• एग्री बिजनेस को बढ़ावा देने के लिये खाद्य प्र-संस्करण इकाइयों की स्थापना की जाएगी, इसके लिये खाद्य प्र-संस्करण इकाइयों के क्लस्टर स्थापित किये जाएंगे.
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