महाराष्ट्र सरकार द्वारा नियुक्त समिति ने 3 जुलाई 2015 को मुंबई उच्च न्यायालय में 12 पृष्ठों की एक रिपोर्ट प्रस्तुत की.
रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र में 10 वर्ष से कम आयु के 58 प्रतिशत से अधिक बच्चे प्रतिदिन भारी स्कूल बैग वहन करने के कारण ऑर्थोपेडिक बीमारी से ग्रस्त हैं.
न्यायमूर्ति वी एम कनाडे और न्यायमूर्ति कोलाबावाला की खंडपीठ ने सूचित किया कि यह रिपोर्ट महाराष्ट्र सरकार द्वारा स्वीकार की जा चुकी है.
रिपोर्ट की जांच के बाद कोर्ट ने कहा कि इन दिक्कतों को देखते हुए बच्चों को जल्द ही स्कूल बैग के स्थान पर ट्रॉली बैग ले जाने होंगे.
कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि समिति द्वारा रिपोर्ट में दिए गए सुझावों को कब तक लागू किया जा सकता है. राज्य सरकार को 23 जुलाई 2015 तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है.
इसमें सरकार को यह सुझाव भी दिया गया है कि वह स्कूलों में लॉकर की व्यवस्था करे ताकि बच्चे प्रतिदिन पाठ्यपुस्तकों को पीठ पर लाद कर ले जाने की बजाय उन्हें स्कूल में ही रख सकें.
समिति की सिफारिशें
प्रत्येक विषय के लिए तीन महीने तक एक ही पुस्तक का प्रयोग किया जाना चाहिए.
पाठ्यपुस्तक का वजन कम करने के लिए हल्का कागज़ प्रयोग किया जाना चाहिए तथा हार्ड कवर का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए.
शिक्षण के लिए ई-कक्षा, ऑडियो विजुअल प्रौद्योगिकी और अन्य तकनीकी साधनों के उपयोग करने का सुझाव दिया गया.
इस विषय पर सामाजिक कार्यकर्ता स्वाति पाटिल द्वारा जनहित याचिका दायर किये जाने के उपरांत समिति का गठन किया गया.
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