संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने बाध्यकारी प्रस्ताव (बाइंडिंग रेजल्यूशन) 2178 को सर्वसम्मति से 24 सितंबर 2014 को अपना लिया जिसके मुताबिक अब यूएनएससी के सदस्य देश अपने नागरिकों को इराक और सीरिया में आईएसआईएस जैसे आतंकवादी समूहों में शामिल होने से रोकेंगे.
अमेरिका द्वारा तैयार किया गया यह मसौदा संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय 7 के तहत 193 संयुक्त राष्ट्र देशों के लिए मानना जरूरी है. यह प्रस्ताव सुरक्षा परिषद को बाध्यकारी प्रस्ताव (बाइंडिग रेजल्यूशन) का कानूनी तौर पर उल्लंघन करने वाले देशों के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की भी मंजूरी देता है. यह कहता है कि देशों को विदेशी लड़ाकों की भर्ती और उन्हें वित्त मुहैया कराना रोकना होगा.
यह प्रस्ताव सभी देशों को अपने नागरिकों को आतंकवादी समूहों से लड़ने के लिए विदेश यात्रा करने या उनकी भर्ती या वित्त मुहैया कराने को गंभीर अपराध के तौर पर देखता है. हालांकि इसने सैन्य बलों को आतंकवादियों से विदेश में लड़ने का आदेश नहीं दिया है.
यूएनएससी के सत्र जिसमें इस प्रस्ताव को पारित किया गया, की अध्यक्षता अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा कर रहे थे. सत्र के दौरान ओबामा ने आईएसआईएस के मौत के नेटवर्क को खत्म करने के लिए वैश्विक स्तर पर प्रयास करने का आग्रह किया.
पृष्ठभूमि
चरमपंथी समूह में कई देशों के हजारों युवाओं की भागीदारी ने इस संकल्प के विकास और अपनाए जाने को प्रेरित किया. विभिन्न देशों के युवा उग्रवादी समूह आईएसआईएस और अल कायदा के सीरियाई विंग–नूसरा फ्रंट के उद्भव के बाद उनसे लड़ने के लिए अपने देशों से भाग गए हैं.
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