सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को ताज चतुर्भुज क्षेत्र में संरक्षित वन के चार हेक्टेयर में फैले 697 पेड़ काटने की अनुमति 23 जुलाई 2014 को प्रदान की. यह अनुमति आगरा– शमशाबाद– राजाखेड़ा सड़क को चौड़ा और चार लेन का बनाने के लिए दी गई.
12 किलीमीटर लंबा यह मार्ग यमुना एक्सप्रेसवे से ताजमहल को जोड़ने का काम करेगा और आगरा– ग्वालियर– मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग या राष्ट्रीय राजमार्ग 3 (एनएच–3) को जोड़ेगा. इस परियोजना की लागत 103.27 करोड़ रूपए होने का अनुमान है.
यह मंजूरी सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर और न्यायाधीश न्यायमूर्ति सीएस नागप्पन की विशेष पीठ ने दिया था.
हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय की इस पीठ ने पेड़ों की कटाई से पहले वनीकरण की कुछ शर्तों को पूरा करने का भी आदेश दिया. इसने उत्तर प्रदेश सरकार को काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या से दस गुना अधिक पेड़ उपयुक्त जगहों, जिसकी पहचान राज्य वन विभाग करेगा, पर लगाने का आदेश दिया. इसने राज्य सरकार को वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत पहले से ही औपचारिक मंजूरी लेने और वन भूमि का वर्तमान मूल्य जमा कराने का भी निर्देश दिया.
पृष्ठभूमि
ताज चतुर्भुज क्षेत्र के पेड़ों को काटने का मामला सर्वोच्च न्यायालय की पीठ के समक्ष नवंबर 2013 में रखा गया था. उस समय, सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) को इस मुद्दे पर गौर कर या तो पेड़ों की सुरक्षा या परियोजना को चालू रखने के बाबत राय मांगी थी. सीईसी ने 5 फरवरी 2014 को अपनी रिपोर्ट दायर की जिसमें यह कहा कि यह परियोजना जनता के हित में है और पेड़ों को काटने के अलावा और कोई दूसरा विकल्प नहीं है. यहां तक कि केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने भी इस परियोजना की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी.
उपरोक्त विकास के प्रकाश में, सर्वोच्च न्यायालय ने इस परियोजना को बंद करने का कोई कारण नहीं पाया और उत्तर प्रदेश सरकार को 697 पेड़ों को काटने की अनुमति दे दी.
राष्ट्रीय राजमार्ग 3
राष्ट्रीय राजमार्ग 3, या एनएच3 आमतौर पर मुंबई– आगरा हाइवे या एबी रोड के नाम से जाना जाता है. यह प्रमुख भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग है जो उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र राज्यों से गुजरता है. एनएच3 की कुल लंबाई 1,190 किलोमीटर की है.
आगरा और ग्वालियर के बीच की दूरी को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने उत्तर– दक्षिण गलियारे के तौर पर चिन्हित किया है. ग्रेटर मुंबई इलाके में यह राजमार्ग ईस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे के नाम से भी जाना जाता है जो मुंबई नाशिक एक्सप्रेसवे के रूप में चालू है.
ताज चतुर्भुज क्षेत्र (टीटीजेड)
ताज चतुर्भुज क्षेत्र (टीटीजेड) ताज महल के चारों तरफ 10400 वर्ग किलोमीटर का इलाका है जो इस स्मारक को प्रदूषण से रक्षा के लिए बनाया गया है. टीटीजेड में 40 से ज्यादा संरक्षित स्मारक हैं जिसमें तीन विश्व धरोहर स्थल– ताज महल, आगरा का किला और फतेहपुर सीकरी शामिल है. ताजमहल के आसपास होने की वजह से इसका नाम टीटीजेड रखा गया और इसका आकार ट्रैपेज्यॉड जैसा है.
सर्वोच्च न्यायालय ने टीटीजेड में स्थित उद्योगों द्वारा कोयला/ कोक के इस्तेमाल पर 30 दिसंबर 1996 को प्रतिबंध लगा दिया था. इसमें इन उद्योगों के लिए प्राकृतिक गैस का इतिमाल अनिवार्य कर दिया गया और इन्हें टीटीजेड के बाहर पुनर्स्थापित करने या बंद करने का आदेश दिया गया था.
केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने आगरा डिविजन के आयुक्त की अध्यक्षता में ताज चतुर्भुज क्षेत्र प्रदूषण (निवारण एवं नियंत्रण) प्राधिकरण [Taj Trapezium Zone Pollution (Prevention and Control) Authority] का गठन पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 3 की उपधारा (1) और (3) के तहत 13 मई 1998 को किया था.
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