राजस्थान की राज्य सरकार ने 30 जून 2014 को ऊंट को राज्य पशु घोषित किया. यह कदम राज्य में ऊंटों की कम होती संख्या की जांच करने के लिए उठाया गया है.
ऊंट को राज्य पशु घोषित करने का फैसला सरकार ने बीकानेर में आयोजित एक राज्य कैबिनेट बैठक के दौरान ‘सरकार आपके द्वार’ अभियान के अंतिम दिन लिया गया. मंत्रिमंडल की बैठक राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की अध्यक्षता में हुई.
एक पशु के रूप में ऊंट राजस्थान के कई लोगों को आजीविका प्रदान करता है और रेगिस्तान का जहाज कहा जाता है. हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में इन जानवरों को उनके मांस के लिए बलि किया जा रहा हैं और इन्हें अवैध रूप से पड़ोसी राज्यों में ले जाया जाता है. ऊंटों को राजस्थान के कई जिलों में बलिदान के रूप में मारा भी जा रहा हैं. नतीजतन, राजस्थान में ऊंटों की जनसंख्या तेजी से घट गई है.
पशुधन की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 1997 में 668,000 ऊंट दर्ज किए गए जो 2003 में घटकर 498,000 तक नीचे चला गया. यह पांच साल की अवधि में 25 प्रतिशत की कमी दर्शाता है. अगले पांच साल के जनगणना के आंकड़ों में जनसंख्या 13.5 प्रतिशत से नीचे 430,426 चली गई. वहीं वर्ष 2003-08 की अवधि की जनगणना के दौरान जैसलमेर जिले में जनसंख्या में वृद्धि हुई है.
इस प्रकार, राज्य पशु के रूप में ऊंट की घोषणा के अलावा, राज्य सरकार ऊंटों के वध, अवैध व्यापार और ऊंटों की ढुलाई पर रोक लगाने के लिए एक नए कानून का मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया में भी है.
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