चुंबकीय कंपास लंबे समय से नेविगेशन का एक अनिवार्य उपकरण रहा है। यह पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग करके रास्ता दिखाता है। लेकिन, हमारी धरती पर कुछ ऐसी खास जगहें हैं, जहां विशेष भूभौतिकीय परिस्थितियों के कारण चुंबकीय कंपास या तो खराब हो जाते हैं या पूरी तरह से काम करना बंद कर देते हैं। ये बदलाव उन यात्रियों और खोजकर्ताओं के लिए एक पहेली बन जाते हैं, जो सिर्फ कंपास का उपयोग करके यात्रा करते हैं।
7 जगहें जहां चुंबकीय कंपास काम नहीं करते
-चुंबकीय ध्रुव
स्थान: उत्तरी चुंबकीय ध्रुव और दक्षिणी चुंबकीय ध्रुव के करीब
चुंबकीय ध्रुवों पर या उनके पास कंपास की सुई सीधी रहने के बजाय नीचे की ओर झुक जाती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि वहां पृथ्वी की चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं लगभग खड़ी होती हैं। इसके कारण कंपास की सुइयां अनियमित रूप से घूमने लगती हैं या किसी भी दिशा में संकेत देने लगती हैं, जिससे नेविगेशन असंभव हो जाता है।
-बरमूडा ट्रायंगल
स्थान: उत्तरी अटलांटिक महासागर में मियामी, बरमूडा और प्यूर्टो रिको से घिरा क्षेत्र।
बरमूडा ट्रायंगल में कंपास के रहस्यमयी तरीके से खराब होने का कारण शायद पानी के नीचे मौजूद खनिज भंडार या पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में होने वाले बदलाव हैं। इससे वहां स्थानीय चुंबकीय विसंगतियां पैदा होती हैं। ये विसंगतियां कंपास की रीडिंग में बाधा डालती हैं, जिससे नेविगेशन में समस्याएं आती हैं।
-कुर्स्क चुंबकीय विसंगति, रूस
स्थान: कुर्स्क क्षेत्र, रूस
जमीन के नीचे लौह अयस्क के विशाल भंडार के कारण यह पृथ्वी की सबसे बड़ी चुंबकीय विसंगतियों में से एक है। यहां का शक्तिशाली स्थानीय चुंबकीय क्षेत्र इतना मजबूत है कि यह पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र पर भी हावी हो जाता है। इसके कारण कंपास की सुइयां अपने रास्ते से बहुत दूर भटक जाती हैं या अविश्वसनीय हो जाती हैं।
-चर्चिल चुंबकीय विसंगति, कनाडा
स्थान: चर्चिल शहर के पास, मैनिटोबा, कनाडा
यह एक बड़ी चुंबकीय विसंगति है, जो लौह युक्त खनिज भंडारों के कारण होती है। ये भंडार एक शक्तिशाली स्थानीय चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करते हैं। इस क्षेत्र में कंपास की रीडिंग अविश्वसनीय और अनियमित हो सकती है।
-दक्षिण अटलांटिक विसंगति
स्थान: दक्षिण अमेरिका के तट से दूर दक्षिण अटलांटिक महासागर के ऊपर
यह पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का एक कमजोर होता हुआ क्षेत्र है, जो पृथ्वी के आंतरिक कोर की गतिशीलता से जुड़ा है। चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता में कमी सैटेलाइट और कंपास सिग्नल को प्रभावित करती है, जिसके कारण कंपास की रीडिंग में अस्थिरता आ जाती है।
-करगुलेन पठार
स्थान: दक्षिणी हिंद महासागर में अंटार्कटिका के करीब
यह पठार पानी के नीचे एक विशाल ज्वालामुखीय क्षेत्र है। इसकी चुंबकीय विशेषताएं आसपास के क्षेत्र से अलग हैं। इससे स्थानीय चुंबकीय गड़बड़ी पैदा होती है, जो कंपास के काम को प्रभावित करती है।
-हिंद महासागर चुंबकीय विसंगति
स्थान: हिंद महासागर के कुछ हिस्से
इस क्षेत्र में नेविगेशन के लिए कंपास बेकार हो जाते हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि अन्य समुद्री विसंगतियों की तरह यहां भी समुद्र तल पर चुंबकीय खनिजों में बदलाव पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को बिगाड़ देते हैं।
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