तमिलनाडु सरकार और अडानी पावर लिमिटेड ने रामनाथपुरम जिले में 200 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना करने के लिए ऊर्जा खरीद समझौता (पीपीए) पर जून 2015 के दूसरे सप्ताह में हस्ताक्षर किया. इस संयंत्र की स्थापना पर करीब 1400 करोड़ रुपयों की लागत आएगी.
समूह ने इस जिले को इसलिए चुना है कि यह थूछुकुडी जिले के अलावा राज्य का दूसरा ऐसा जिला है जो सबसे अधिक सौर विकिरण प्राप्त करता है.
मार्च 2015 में अडानी पावर लिमिटेड ने जिले के कामुथी में 1000 मेगावाट सौर संयंत्र की स्थापना के लिए लोड फ्लो स्टडी हेतु तमिलनाडु जनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉरपोरेशन ( TANGDECO) में आवेदन किया था.
वर्ष 2012 में राज्य सरकार ने सौर ऊर्जा नीति (SEP) की घोषणा की जिसमें उपयोगिता पैमाना परियोजनाओं, छतों और अक्षय ऊर्जा प्रमाणपत्र (REC) योजनाओं के जरिए तीन वर्षों तक हर वर्ष 1000 मेगावाट बिजली के उत्पादन की कल्पना की गई थी.
हालांकि सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना के लिए उच्च लागत (प्रति मेगावाट 7 करोड़ रुपये) और जमीन की जरूरतों (1 मेगावाट के लिए 5 एकड़) की वजह से यह योजना सफल नहीं हुई.
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार मई 2015 तक कुल सौर ऊर्जा क्षमता के मामले में तमिलनाडु सातवें स्थान पर था, और 3.88 गीगावाट की कुल क्षमता में इसका योगदान सिर्फ 3.8 फीसदी का है.
भारत में सौर ऊर्जा पैदा करने के मामले में राजस्थान और गुजरात सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अग्रणी है क्योंकि ये दोनों ही राज्य सबसे अधिक सौर विकिरण प्राप्त करते हैं और इन राज्यों में कम लागत पर बड़े पैमाने पर बंजर जमीन भी उपलब्ध है.
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