रूस ने 23 दिसम्बर 2014 को अंगारा रॉकेट का सफल परीक्षण किया. इसका परीक्षण भारतीय समयानुसार सुबह 11 बजकर 27 मिनट पर उत्तरी रूस के प्लेसेक में किया गया. इस रॉकेट को मानव युक्त अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण के इरादे से विकसित किया गया. सोवियत संघ के विघटन के बाद प्रोटोन और अन्य सोवियत कालीन प्रक्षेपण यानों की जगह लेने के लिए इसका डिजाइन तैयार किया गया. अंगारा-A5 सोवियत युग के बाद का पहला अंतरिक्ष बूस्टर है. "ब्रीज़-एम" बूस्टर की सहायता से छोड़ा गया "अंगारा" वर्ग का यह भारी रॉकेट दो टन वज़नी मॉडल को पृथ्वी की भू-स्थिर कक्षा में स्थापित करेगा.
नई पीढ़ी के रॉकेट "अंगारा" का निर्माण एक बहुउद्देशीय रॉकेट मॉड्यूल के आधार पर किया गया. यह रॉकेट ऑक्सीजन और किरोसीन, यानी मिट्टी के तेल से चलनेवाले इंजनों से लैस है.
गौरतलब है की हल्की श्रेणी की अंगारा रॉकेट का परीक्षण जून में कारगर नहीं हो पाया था. यह सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस द्वारा तैयार किया हुआ प्रक्षेपण यान है. गौरतलब है कि सोवियत संघ का विघटन वर्ष 1991 में हुआ था. साइबेरिया की एक नदी के नाम पर इस रॉकेट का नाम रखा गया. इसको तैयार करने में लगभग 20 वर्ष का समय लगा है एवं 3 अरब अमरीकी डॉलर की लागत आई है. इस प्रक्षेपण की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता इसका पर्यावरण मैत्रीय होना है.
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