राज्यों में रेलवे से जुड़ी विभिन्न बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं को शुरू करने के लिए संसाधन जुटाने हेतु राज्य सरकारों के साथ मिलकर संयुक्त उद्यम कंपनियों के गठन को केंद्रीय कैबिनेट ने 3 फरवरी 2016 को अपनी मंजूरी दी.
मुख्य तथ्य:
• संयुक्त उद्यम कंपनियों का गठन रेल मंत्रालय और संबंधित राज्य सरकारों की इक्विटी भागीदारी के साथ किया जाएगा.
• हर संयुक्त उद्यम (जेवी) के पास 100 करोड़ रुपये की आरंभिक चुकता पूंजी होगी, जो शुरू की जाने वाली परियोजनाओं की संख्या पर आधारित होगी.
• रेल मंत्रालय की आरंभिक चुकता पूंजी हर राज्य के लिए 50 करोड़ रुपये तक सीमित होगी.
• परियोजनाओं के लिए और ज्यादा धनराशि/इक्विटी डालने का काम परियोजना को मंजूरी मिलने और उपयुक्त सक्षम प्राधिकारी के स्तर पर उसके वित्त पोषण के बाद किया जाएगा.
• संयुक्त उद्यम अन्य हितधारकों जैसे कि बैंकों, बंदरगाहों, सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों, खनन कंपनियों इत्यादि द्वारा इक्विटी अंशभागिता के साथ परियोजना विशेष के लिए एसपीवी का भी गठन कर सकेगा.
• संयुक्त उद्यम के गठन की व्यवस्था से वित्तीय भागीदारी और निर्णय लेने की प्रक्रिया दोनों ही लिहाज से रेल परियोजनाओं में राज्य सरकारों की अपेक्षाकृत ज्यादा भागीदारी सुनिश्चित होगी.
• इससे त्वरित वैधानिक मंजूरियां पाने के साथ-साथ भूमि अधिग्रहण में भी आसानी होगी. यात्रा कर रहे लोगों के अलावा विभिन्न सीमेंट, इस्पात, विद्युत संयंत्रों इत्यादि को अपने कच्चे माल एवं तैयार उत्पादों की ढुलाई के लिए आवश्यपक रेल संपर्क प्राप्तु होगा.
विदित हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल (कैबिनेट) ने राज्यों में रेलवे से जुड़ी विभिन्न बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं को शुरू करने के लिए संयुक्त उद्यम कंपनियों के गठन को अपनी मंजूरी दी.
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