रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के पूर्व प्रमुख लालकृष्ण शंकरन नायर का 17 नवंबर 2015 को 94 वर्ष की अवस्था में बेंगलुरु में निधन हो गया.
केरल में ओट्टापलम गांव के निवासी नायर खुफिया ब्यूरो (Intelligence) में कार्यरत रहे. बाद में उन्हें रॉ के प्रथम चीफ रामेश्वर नाथ काओ के डिप्टी के रूप में 1968 में रॉ में नियुक्त किया गया.
1971 में पाकिस्तान से बांग्लादेश की मुक्ति में भी नायर का योगदान सराहनीय रहा. उनके नेतृत्व में गुरिल्ला लड़ाकों की टुकड़ी “मुक्ति वाहिनी” को प्रशिक्षित करने में मदद मिली.
1977 में नायर को रॉ प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया. हालांकि उन्होंने कार्यभार संभालने के मात्र तीन महीने बाद ही इस्तीफा दे दिया. इस नियुक्ति के विरोध में उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई का विरोध भी किया क्योंकि उनका मानना था कि सचिव (आर) से निदेशक रॉ के प्रमुख के पद पर उनकी नियुक्ति पदावनति जैसी है.
नायर ने 1986 से 1988 तक सिंगापुर में भारत के उच्चायुक्त के रूप में भी कार्य किया.
1985 में पूर्व रॉ चीफ को पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation