उच्चतम न्यायालय ने 10 दिसंबर 2013 को निर्णय दिया कि वाहनों पर लाल बत्ती की इजाजत केवल संवैधानिक पद पर आसीन लोगों और उच्च पदस्थ हस्तियों को ही दी जानी चाहिए. यह फैसला स्थानीय नेताओं दवारा प्रतिष्ठा के प्रतीक के रुप में इसका दुरुपयोग करने के बाद आया है.
न्यायमूर्ति जी. एस. सिंघवी की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह अपने वाहनों पर लाल बत्ती का उपयोग करने के पात्र लोगों की एक ताजा सूची जारी करे. अदालत ने केंद्र सरकार से यह भी कहा कि वह इस संबंध में तीन माह के अंदर नियम-कायदे में संशोधन करे. खंडपीठ ने यह भी कहा कि राज्य सरकारें वाहनों पर लाल बत्ती लगाने के पात्र विशिष्ट लोगों की सूची में विस्तार नहीं कर सकते.
न्यायालय ने वाहनों पर लाल बत्ती के दुरुपयोग रोकने का आग्रह करने वाली उत्तर प्रदेश निवासी अभय सिंह की एक जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया.इससे पहले, खंडपीठ ने कहा था विशिष्ट व्यक्तियों को सरकार से आबंटित लाल बत्ती और साइरन का दुरुपयोग समाज के लिए खतरा बन गया है और इसे अवश्य रोकना चाहिए.
अदालत ने यह भी कहा है कि लाल बत्ती हैसियत का प्रतीक बन गई है. पुलिसकर्मियों को वीआईपी लोगों को सुरक्षा कवच प्रदान करने में लगाए जाने के बजाय महिलाओं के लिए सड़क को सुरक्षित बनाने जैसे बेहतर उद्देश्यों में लगाया जाना चाहिए.
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