लोकसभा ने बैकिंग कानून विधेयक 2012 को ध्वनिमत से 18 दिसंबर 2012 को पारित किया. केंद्रीय वित्तमंत्री पी चिदम्बरम के अनुसार इस विधेयक के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ छोटे बैंकों को मिलाकर विश्वस्तर के दो-तीन बड़े बैंक बनाए जाने हैं. बैकिंग क्षेत्र हेतु भारतीय रिजर्व बैंक एक नियामक प्राधिकरण बना रहेगा और भारतीय स्पर्धा आयोग केवल प्रतिस्पर्धी पद्धतियों के मामलों को देखेगा. प्रत्येक वर्ष बैंकों की 6 हजार शाखाएं खोली जानी हैं.
बैकिंग कानून विधेयक 2012 के मुख्य बिंदु:
• आरबीआई की नियामक दिशा-निर्देशों के अनुसार बैंकिंग कम्प नियां प्रफरेंस शेयर जारी करने में सक्षम
• मताधिकार पर प्रतिबंधों की अधिकतम सीमा में वृद्धि
• जमाकर्ताओं को शिक्षा एवं जागरूकता फंड का निर्माण
• किसी व्यषक्ति द्वारा बैंकिंग कम्पिनी में 5 प्रतिशत या अधिक के शेयरों के अधिग्रहण या मताधिकार हेतु आरबीआई की पूर्व अनुमति उपलब्धम
• बैंकिंग कम्पीनियों के बारे में सूचनाएं एकत्र करने और उनके सहयोगी इकाईयों की जांच करने में आरबीआई और सक्षम
• बैंकिंग कम्परनी के निदेशक मंडल को हटना और अगामी व्यएवस्था तक प्रशासक की नियुक्ति में आरबीआई की शक्ति में वृद्धि
• आरबीआई से लाईसेंस प्राप्त करने के बाद ही बैंकिंग व्य वसाय के संचालन हेतु प्राथमिक कॉ-आपरे टिव सोसायटी की सुविधा
• आरबीआई की अनुमति पर धारा – 30 (बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक 2011 को बैंकिंग नियामक कानून 1949) को लागू करते हुए कॉ-आपरेटिव बैंकों को विशेष लेखा परीक्षण की सुविधा
• बोनस और राईट्स इश्यूर के द्वारा राष्ट्री कृत बैंक पूंजी जूटाने में सक्षम, इससे बैंकिंग कम्पबनी (अधिग्रहण एवं उपक्रमों का हस्तांहतरण) कानून, 1970/1980 के तहत सरकार और आरबीआई की अनुमति से बैंक 3000 करोड़ रूपए की अधितम सीमा के दायरें में आए बिना अपनी पूंजी घटाने या बढ़ाने में सक्षम
विदित हो कि वित्ती य मामलों पर 13 दिसम्बरर 2011 को जारी स्थांई समिति की रिपोर्ट में की गई सिफारिशों के आधार पर कुछ अतिरिक्त1 संशोधन का प्रस्ता1व किया गया और इस कानून को निम्निलिखित सुधार के साथ पारित किया गया.
1. बैंकों में मताधिकार 26 प्रतिशत तक प्रतिबंधित किया जा सकता है.
2. जमाकर्ताओं की शिक्षा एवं जागरूकता फंड का इस्तेिमाल जमाकर्ताओं के हितों के संवर्धन के उद्देश्य में प्रयोग हो सकता है.
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