ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडी ने 17 अप्रैल 2015 को भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए वर्ष 2015 में 7.5 प्रतिशत विकास का पूर्वानुमान लगाया है. यह वृद्धि दर 2014 (7.2 प्रतिशत) की तुलना में मामूली बढ़त के साथ अनुमानित की गयी है.
रिपोर्ट के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था बढ़त पर है तथा घरेलू मांग की गति बढ़ने से इसके दूरंदेशी लाभ के संकेत भी दिखाई देते हैं.
इसके अलावा मुद्रास्फीति कम होने के कारण रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा ब्याज दरों में 50 आधार अंकों की कटौती किये जाने से निजी क्षेत्र से दबाव भी कम हुआ है.
कम ब्याज दर के साथ-साथ सरकार को बुनियादी ढांचे और विनिवेश कार्यक्रमों में घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देना चाहिए.
ऐसा कहा जाता है कि भारत में लालफीताशाही और विभिन्न टैक्सों के कारण विदेशी निवेश कमज़ोर रहा है लेकिन अधिक से अधिक विदेशी निवेश के लिए सरकार इन नियमों को कम करने हेतु उत्साहवर्धक कदम उठा रही है.
विनिवेश के लिए वित्त वर्ष 2015-2016 में 70,000 करोड़ रुपए जुटाने की योजना के तहत सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र में बिक्री आरंभ कर दी है. कम सरकारी खर्च आने वाले वर्ष के लिए एक एक नकारात्मक पक्ष हो सकता है क्योंकि यदि राजस्व होगा तो सरकार 2015-2016 के लिए 3.9 प्रतिशत घाटे के लक्ष्य को पूरा करने के लिए खर्च में कटौती की घोषणा कर सकती है.
विकास के अनुमानों में उस समय और तेज़ी आई जब 9 अप्रैल 2015 को मूडीज ने अपने अनुमान के अनुसार भारत की अर्थव्यवस्था को स्थिर से सकारात्मक रेटिंग दी.
इससे पहले 14 अप्रैल 2014 को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) अपने अप्रैल 2015 के वर्ल्ड इकनोमिक आउटलुक में बताया था कि भारत 2015-16 में सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था के रूप में चीन से आगे निकल जाएगा.
विश्व बैंक ने 13 अप्रैल 2015 को जारी अपनी दक्षिण एशिया आर्थिक फोकस रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया कि भारतीय अर्थव्यवस्था 2015-16 में 7.5 प्रतिशत से बढ़ेगी तथा 2017-18 में यह आंकड़ा 8 प्रतिशत तक पहुंच सकता है.
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