वित्त मंत्रालय के विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) ने अबूधाबी की एतिहाद एयरलाइंस द्वारा जेट एयरवेज की 24 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के प्रस्ताव को 29 जुलाई 2013 को सशर्त मंजूरी दी.
क्या हैं शर्तें?
• जेट एयरवेज द्वारा एतिहाद एयरवेज के साथ शेयर होल्डर समझौते में किसी प्रकार के बदलाव के लिए केंद्र की अनुमति लेगा.
• यह शर्त रखी गई है कि किसी भी विवाद की स्थिति में सौदे पर भारतीय कानून के तहत ही निपटारा किया जाना है.
• कंपनी को अपना मुख्यालय भी भारत में ही रखना होगा. इसे अबूधाबी या विदेश में कहीं शिफ्ट नहीं किया जा सकेगा.
• जेट द्वारा आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन में भी बदलाव किया जाना निर्धारित है.
जेट-एतिहाद सौदे को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े कुछ सवाल भी उठे थे. इस पर गृह मंत्रालय की राय मांगी गई थी. यदि दोनों कंपनियां इन शर्तो को स्वीकार करती हैं तो इस प्रस्ताव को वित्त मंत्री पी चिदंबरम के समक्ष पेश किया जाना है, जहां से उसे आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीईए) के पास अंतिम मंजूरी के लिए भेजा जाना है. कैबिनेट की अनुमति के बाद ही इस सौदे को पूरी तरह से मंजूर माना जाएगा.
एफआईपीबी की इस बैठक से पहले ही एतिहाद जेट में अपने निदेशकों की संख्या 3 से घटा कर दो करने पर राजी हो गई थी. इससे कंपनी पर एतिहाद के नियंत्रण को लेकर आशंकाएं खत्म हो गई हैं. अब जेट पर भारतीय प्रमोटरों का ही नियंत्रण रहेगा. संशोधित प्रस्ताव के तहत जेट के बोर्ड में कुल 12 निदेशक होंगे. इनमें से 4 जेट के, 2 एतिहाद के और बाकी स्वतंत्र निदेशक होंगे. जेट के प्रमोटर नरेश गोयल को चार सदस्यों के अलावा अध्यक्ष की नियुक्ति का अधिकार प्राप्त होना है, जबकि एतिहाद उपाध्यक्ष की नियुक्ति कर सकेगी. नरेश गोयल किसी भी मामले में अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे.
विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी)
विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से जुड़े उन प्रस्तावों को मंजूरी देने के लिए एक सिगल विंडो का काम करता है जिन पर सीधे तौर पर एफडीआई की स्वीकृति नहीं होती. इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय कंपनियों,अप्रवासी भारतियों तथा अन्य विदेशी निवेशकों के माध्यम से देश में निवेश की सुविधा प्रदान करके भारत तथा विदेश में निवेश संवर्धन कार्यकलापों की शुरूआत करके भारत में एफडीआई का संवर्धन करना है. एफआईपीबी में विभिन्न मंत्रालय के सचिवों के साथ-साथ आर्थिक मामलों के विभाग एवं वित्त मंत्रालय के सचिव अध्यक्ष के रूप में होते हैं. यह अंतरमंत्रालीय निकाय देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से संबंधित प्रस्तावों पर चर्चा, उच्चतम सीमा, कारकों पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति के तहत करता है. वित्त मंत्रालय एफआईपीबी के अधिकतम 1200 करोड़ रुपए तक के प्रस्तावों पर की गई सिफारिशों को मंजूरी प्रदान करता है. ऐसे प्रस्तावों जिनका मूल्य 1200 करोड़ रुपए से अधिक होता है उनके लिए आर्थिक मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति (Cabinet Committee on Economic Affairs-CCEA) की स्वीकृति लेनी होती है.
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