विश्व आर्थिक मंच ने ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2015 जारी की

Nov 27, 2015, 17:47 IST

इसमें आर्थिक, शैक्षणिक, स्वास्थ्य और राजनीतिक संकेतकों पर महिलाओं की स्थिति के अनुसार 145 अर्थव्यवस्थाओं को रैंक किया गया है

19 नवंबर 2015 को विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) ने ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2015 जारी कर दी. इसमें आर्थिक, शैक्षणिक, स्वास्थ्य और राजनीतिक संकेतकों पर महिलाओं की स्थिति के अनुसार 145 अर्थव्यवस्थाओं को रैंक किया गया है.
रिपोर्ट के अनुसार बीते दस वर्षों में स्वास्थ्य, शिक्षा, आर्थिक अवसर और राजनीति में वैश्विक लैंगिक अंतर सिर्फ 4 फीसदी का है और इसे पूरी तरह से खत्म होने में अभी 118 वर्ष और लगेंगे.
और सर्वेक्षण में शामिल किए गए 145 देशों में आइसलैंड लगातार सातवें वर्ष भी सबसे उपर है और भारत 108 वें स्थान पर है.

वैश्विक लैंगिक अंतर रिपोर्ट (ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट) 2015

• उच्च लैंगिक समानता वाले पांच शीर्ष देश क्रमशः – आइसलैंड, नॉर्वे, फिनलैंड, स्वीडन, और आयरलैंड .  
• न्यूनतम लैंगिक समानता वाले पांच देश– इरान (141), चाड (142), सीरिया (143), पाकिस्तान (144) और यमन (145).
• ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स में नॉर्डिक देश अभी भी हावी हैं. सबसे उच्च रैंकिंग वाला गैर– नॉर्डिक देश आयरलैंड है जो पांचवें पायदान पर है. शीर्ष 10 देशों में शामिल होने वाले गैर– यूरोपीय देशों में सिर्फ रवान्डा (6) , फिलीपीन्स (7) और न्यूजीलैंड (10) ही हैं. संयुक्त राज्य अमेरिका आठ स्थान नीचे खिसक कर अब 28वें पायदान पर है.
• वर्ष  2006 की तुलना में वर्ष  2015 में अरबपति महिलाओं की संख्या चौगुनी हुई है. यह 1.75 अरब रुपये है.
वेतन में असमानता अभी भी मौजूद है. वर्ष 2015 में महिलाओं की वार्षिक आमदनी 11000 अमेरिकी डॉलर थी जबकि पुरुषों की 21000 अमेरिकी डॉलर. संयोग से वर्ष  2006 में पुरुष भी महिलाओं के समान ही धनराशि अर्जित करते थे यानि 11000 अमेरिकी डॉलर सालाना.
• जी20 देशों के बीच भारत औऱ सउदी अरब में श्रम भागीदारी की दर सबसे कम है (40 फीसदी). अमेरिका में भागीदारी दर सबसे अधिक– 80 फीसदी है.
• रिपोर्ट शिक्षा– रोजगार– नेतृत्व असंतुलन पर प्रकाश डालती है. 97 देशों में पुरुषों के मुकाबले विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने वाली महिलाओं की संख्या अधिक है, सिर्फ 68 देशों में ही महिलाएं कुशल कामगार बन रही हैं और नेतृत्व करने वालों की संख्या सिर्फ चार है.
• लैंगिक असमानता की खाई को पाटने की दिशा में सबसे अधिक प्रगति राजनीति की दुनिया में हुई है. वर्ष 2015 में सभी मंत्रियों में 19 फीसदी मंत्री और 18 फीसदी मंत्री महिलाएं थीं. और लगभग 50 फीसदी देशों में महिला प्रमुख हैं.
• यह आर्थिक और राजनीतिक दुनिया की प्रगति के बीच सकारात्मक संबंध दर्शाता है और कोटा जैसे सकारात्मक कार्रवाई से यह साबित हो गया है कि जिन देशों में महिलाओं के लिए स्वैच्छिक कोटा है वहां उनकी राजनीतिक भागीदारी की दर भी अधिक है.

2015 में भारत का प्रदर्शन

• 0 से 1 के स्केल पर जहां 1 पूर्ण समानता को दर्शाता है, 0.664 अंकों के साथ भारत को सर्वेक्षण में शामिल किए गए 145 देशों में 108वें पायदान पर रखा गया है. वर्ष  2014 की रिपोर्ट से तुलना करें तों इसने 0.020 अंक अर्जित किए हैं और अपनी रैंकिंग में 6 स्थान का सुधार किया है.
• वर्ष  2006 और 2015 के बीच पिछले दशक में भारत में लैंगिक असमानता में 0.062 अंकों का सुधार हुआ है.
• आर्थिक भागीदारी और अवसरः इस  में क्षेत्र में भारत का प्रदर्शन सर्वेक्षण में शामिल किए गए देशों में सबसे कम में से एक था (139 रैंक). श्रम बल में जहां महिलाओं की भागीदारी 29 फीसदी थी वहीं पुरुषों में यह 83 फीसदी थी.
• शिक्षा प्राप्तिः सर्वे में शामिल 145 देशों में भारत को 125वां स्थान दिया गया. महिला साक्षरता दर 61 फीसदी से कम रहने का अनुमान लगाया गया था जबकि पुरुषों में साक्षरता दर 81 फीसदी थी.
• स्वास्थ्य और जीवन रक्षाः अन्य सभी खंडों के मुकाबले स्वास्थ्य और जीवन रक्षा के मामले में सर्वेक्षण किए गए देशों में भारत की प्रगति सबसे कम (143) थी. ऐसा देश में प्रतिकूल लिंगानुपात की वजह से था. ''
• राजनीतिक सशक्तिकरणः इस खंड में भारत नौंवे स्थान पर रहा क्योंकि संसद में 115 महिलाएं और 51 महिलाएं मंत्री पदों पर आसीन हैं. इसके अलावा भारत 'ईयर विद फीमेल हेड ऑफ स्टेट' श्रेणी में दुनिया में दूसरे सबसे अच्छे स्थान पर रखा गया.

भारत और ब्रिक्स देश

आरोही क्रम में ब्रिक्स देशों की रैंकः दक्षिण अफ्रीका (17), रुस ( 75), ब्राजील (85), चीन ( 91) और भारत ( 108). वास्तव में  वर्ष 2006 से दक्षिण अफ्रीका समग्र सूचकांक में शीर्ष 20 प्रदर्शन करने वाले देशों में शुमार है.
भारत और सार्क देश
आरोही क्रम में सार्क देशों की रैंकः बांग्लादेश (64), श्रीलंका (84), भारत (108),नेपाल (110), मालदीव (113), भूटान (118) और पाकिस्तान (144).

वैश्विक लैंगिक अंतर सूचकांक (ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स)

• सबसे पहले इसे विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) ने वर्ष  2006 में प्रकाशित किया था और 2015 का संस्करण दसवां संस्करण है.  
• वर्ष  2014 में सिर्फ 142 देशो में सर्वेक्षण किया गया था. वर्ष  2015 में इसमें जाम्बिया, बेनिन और कैमरुन को भी शामिल कर लिया गया.
• जेंडर गैप इंडेक्स लैंगिक असमानता के एक महत्वपूर्ण पहलु को मापना चाहता है– चार मुख्य क्षेत्रों – स्वास्थ्य, शिक्षा, अर्थव्यवस्था और राजनीति में महिलाओं और पुरुषों के बीच सापेक्ष अंतराल.
• आर्थिक भागीदारी और अवसर उप सूचकांक एवं राजनीतिक सशक्तिकरण उप सूचकांक 0.00 से 1.00 स्केल को पूरा दिखाता है जबकि स्वास्थ्य एवं जीवन रक्षा एवं शिक्षा प्राप्ति उप सूचकांक दृष्य़ स्पष्टता में सुधार के लिए सिर्फ 0.50 से 1.00 को ही दर्शाता है.
• ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स में तीन मूल अवधारणाएं हैं– संकतकों के विकल्प का आधार तैयार करना, आंकड़ों को किस प्रकार इस्तेमाल में लाया जाए और पैमाने का इस्तेमाल कैसे हो.
• सबसे पहले यह अंतर को मापने पर फोकस करता है न कि स्तरों को मापने पर. दूसरे यह इनपुट वैरिएबल्स के अंतर की बजाए आउटकम वैरिएबल्स के अंतर को नोट करता है. तीसरे, यह देशों को लैंगिक समानता के अनुसार रैंक करता है न कि महिलाओं के सशक्तिकरण के अनुसार.

Jagran Josh
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