इंग्लैंड की लांसेट पत्रिका के जून 2011 के अंक में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार विश्व में डायबिटीज के मरीजों की एक-तिहाई संख्या भारत और चीन में रहते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन, इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन और हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ द्वारा किए गए संयुक्त अध्ययन में यह पाया गया कि वर्ष 1980 से 2008 के बीच डायबिटीज से ग्रस्त वयस्कों की संख्या 15 करोड़ 30 लाख से दोगुनी से भी ज्यादा होकर 34 करोड़ 70 लाख हो गई. इनमें से 13 करोड़ 80 लाख डायबिटीज के मरीज केवल भारतीय और चीनी हैं, जबकि रूसी और अमेरिकियों की संख्या तीन करोड़ 60 लाख है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन, इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन और हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ द्वारा किए गए संयुक्त अध्ययन के अनुसार पिछले तीन दशक में विश्व में डायबिटीज के मरीजों की संख्या असामान्य रूप से बढ़ी है. इस अध्ययन में डायबिटीज के 70 प्रतिशत मामलों का कारण जनसंख्या में वृद्धि और वृद्धावस्था है जबकि 30 प्रतिशत उच्च स्तरीय रहन सहन बताया गया. अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता माजिद इजाती के अनुसार दुनिया के सभी हिस्सों में उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल की समस्या की तुलना में डायबिटीज ज्यादा सामान्य है. अध्ययन में 25 वर्ष और उससे अधिक आयु के लगभग 27 लाख वयस्कों को शामिल किया गया. अध्ययन में हर महाद्वीप के लोग शामिल थे.
विश्व में डायबिटीज के मरीजों से संबंधित लांसेट पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में यह भी पाया गया कि प्रशांत महासागर के द्वीप देशों में डायबिटीज सबसे उच्च स्तर पर है. यहां के मार्शल द्वीप पर रहने वालों में प्रत्येक तीन में से एक महिला और प्रत्येक चार में से एक पुरुष डायबिटीज से ग्रस्त हैं. उच्च आय वाले देशों में डायबिटीज का स्तर उत्तरी अमेरिका में सबसे ज्यादा जबकि पश्चिमी यूरोप में सबसे कम है. पिछले तीन दशक में महिलाओं में डायबिटीज का अनुपात 7.5 प्रतिशत से बढ़कर 9.2 प्रतिशत और पुरुषों में 8.3 प्रतिशत से बढ़कर 9.8 प्रतिशत हुआ है.
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