विश्व के शहरों में हवा की गुणवत्ता घट रही है : विश्व स्वास्थ्य संगठन

May 31, 2014, 10:41 IST

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने वर्ष 2014 की वातावरणीय वायु-प्रदूषण डाटाबेस रिपोर्ट 7 मई 2014 को जारी की.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने वर्ष 2014 की वातावरणीय वायु-प्रदूषण डाटाबेस रिपोर्ट 7 मई 2014 को जारी की. इस रिपोर्ट के अनुसार मैदानी (वातावरणीय) वायु-प्रदूषण की निगरानी करने वाले दुनिया भर के अधिकतर शहर सुरक्षित स्तर संबंधी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानदंडों पर खरे उतरने में असफल रहे हैं.
 
वातावरणीय वायु-प्रदूषण डाटाबेस रिपोर्ट के अनुसार इस गिरावट से लोगों के लिए श्वसन संबंधी रोगों और अन्य स्वास्थ्य-समस्याओं का अतिरिक्त खतरा पैदा हो गया है.

अपने अध्ययन में डब्ल्यूएचओ के शहरी वायु-गुणवत्ता डाटाबेस में 91 देशों के 1600 शहर शामिल किए गए, जो वर्ष 2011 के डाटाबेस के अध्ययन में शामिल किए गए शहरों की तुलना में 500 अधिक हैं. शहरों की संख्या में इस बढ़ोतरी से यह तथ्य प्रकट होता है कि विश्व भर में अधिकाधिक शहर वातावरणीय वायु-प्रदूषण की निगरानी कर रहे हैं, जो वायु-प्रदूषण से होने वाले स्वास्थ्य-जोखिमों की बढ़ती मान्यता को प्रतिबिंबित करता है.

अपने निष्कर्षों में डब्ल्यूएचओ ने पाया कि जिस शहरी जनसंख्या की निगरानी की जा रही है, उसमें से आधी जनसंख्या को डब्ल्यूएचओ द्वारा संस्तुत स्तरों से लगभग 2.5 गुना ज्यादा खतरा है. इस तरह इन लोगों को गंभीर, दीर्घकालिक स्वास्थ्य-समस्याओं का अतिरिक्त जोखिम है.
                                                                  
वायु-प्रदूषण में वृद्धि करने वाले प्रमुख कारक
• जीवाश्म—ईंधनों पर निर्भरता, जैसे कि कोयले से चलने वाले विद्युत-संयंत्र
• निजी परिवहन मोटर-वाहनों पर निर्भरता
• इमारतों में ऊर्जा का अपर्याप्त प्रयोग
• खाना पकाने और गर्म करने में बायोमास का इस्तेमाल

अपने निष्कर्षों में डब्ल्यूएचओ ने यह भी नोट किया कि कुछ शहर ऐसे भी हैं, जिन्होंने निम्नलिखित नीतिगत उपाय कार्यान्वित करके उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया है:
• इमारतों में ‘स्पेस हीटिंग’ के लिए कोयले के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाकर
• विद्युत-उत्पादन के लिए पुनर्नवीकरणीय या ‘स्वच्छ’ ईंधनों का प्रयोग करके
• मोटर वाहन इंजनों की दक्षता बढ़ाकर  

वायु-प्रदूषण से उत्पन्न होने वाले स्वास्थ्य-जोखिम
डब्ल्यूएचओ का नवीनतम उपलब्ध डाटा वायु-प्रदूषण जन्य स्वास्थ्य-जोखिमों के प्रति विशेष जागरूकता उत्पन्न करने, वायु-प्रदूषण घटाने वाली नीतियों के कार्यान्वयन और विश्व भर में शहरों की कड़ी निगरानी की माँग करता है. अप्रैल 2014 में जारी अपनी नई सूचना में डब्ल्यूएचओ ने अनुमान लगाया है कि वातावरणीय वायु-प्रदूषण वर्ष 2012 में 60 वर्ष से ऊपर के लगभग 37 लाख लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार रहा.

भारत के संदर्भ में रिपोर्ट के निष्कर्ष
भारत के संदर्भ में विज्ञप्ति में दिल्ली को वायु-गुणवत्ता की दृष्टि से विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों में गिना गया है. उसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी में 2.5 माइक्रोंस से कम पार्टिकुलेट पदार्थों का उच्चतम संकेंद्रण है.

इस तरह के संकेंद्रण में अति लघु कण शामिल होते हैं, जिनसे लोगों के लिए श्वसन रोगों और अन्य स्वास्थ्य-समस्याओं का अतिरिक्त जोखिम पैदा हो जाता है.

अध्ययन के बारे में
अध्ययन कुछ प्राथमिक स्रोतों, जैसे कि आधिकारिक राष्ट्रीय / उप-राष्ट्रीय रिपोर्टों, PM 10 या PM 2.5 के मापों वाली राष्ट्रीय / उप-राष्ट्रीय वेबसाइटों और संबंधित राष्ट्रीय एजेंसियों से प्राप्त जानकारियों का संकलन था. माप निम्नलिखित क्षेत्रीय नेटवर्क्स की रिपोर्टों पर आधारित है :
• एशिया के लिए स्वच्छ वायु पहल
• यूरोप के लिए एयरबेस

पिछले स्रोतों से डाटा की अनुपस्थिति में कुछ अन्य स्रोतों से डाटा संकलित किया गया, जैसे कि:   
• संयुक्त राष्ट्र एजेंसियाँ  
• विकास एजेंसियाँ समकक्ष समीक्षित जर्नल्स से लेख इस्तेमाल किए गए
• समकक्ष समीक्षित जर्नल्स से आलेख इस्तेमाल किए गए

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) क्षेत्र

अफ्रीका क्षेत्र

अल्जीरिया, अंगोला, बेनिन, बोत्स्वाना, बुर्किनो फासो, बुरुंडी, कैमरून, केप वर्दे, केंद्रीय अफ्रीका गणतंत्र, चाड, कोमोरोस, कांगो, कोत द'ईवोआर, कांगो लोकतांत्रिक गणतंत्र, भूमध्यरेखीय गिनी, इरीट्रिया, इथियोपिया, गैबन, गांबिया, घाना, गिनी, गिनी-बिसाऊ, केन्या, लेसोथो, लाइबेरिया, मैडागास्कर, मलावी, माली, मॉरिटानिया, मॉरिशस, मोजांबीक, नांबिया, नाइजर, नाइजीरिया, रवांडा, साओ टोम एवं प्रिंसिपे, सेनेगल, सेयचेलेस, सियरा लियोन, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण सूडान, स्वाजीलैंड, टोगो, यूगांडा, संयुक्त तंजानिया गणतंत्र जांबिया, जिंबाब्वे         

पूर्वी भूमध्य-सागरीय क्षेत्र
अफगानिस्तान, बहरीन, जिबूती, मिस्र, ईरान, इराक इस्लामी गणतंत्र, जॉर्डन, कुवैत, लेबनान, लीबिया, मोरोक्को, ओमान, पाकिस्तान, अधिकृत फिलिस्तीनी क्षेत्र, कतर, सऊदी अरब, सोमालिया, सूडान, सीरियाई अरब गणतंत्र, ट्यूनिशिया, संयुक्त अरब अमीरात, यमन

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