21 अक्टूबर 2015 को विश्व बैंक ने मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीकी क्षेत्र (एमईएनए) आर्थिक निगरानी श्रृंखला के हिस्से के तौर पर इनइक्वलिटी, अपराइजिंग्स एंड कॉन्फ्लिक्ट इन द अरब वर्ल्ड शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की.
रिपोर्ट समग्र रूप से विकास करने वाले देशों में मौजूद व्यापक सामाजिक असमानता के बारे में बताती है जो अरब के असमानता पहेली का संभावित उत्तर है. एमईएनए क्षेत्र के लगातार प्रगति करने के बावजूद क्या वजह है कि वहां के लोग सड़कों पर उतर आए?
रिपोर्ट के निष्कर्ष
- सिर्फ आर्थिक आंकड़ों को देखते हुए 2011 का अरब स्प्रिंग रेवलूशन कभी नहीं होना चाहिए था.
- अरब स्प्रिंग से पहले वाले दशकों में अत्यधिक गरीबी को कम करने, साझा समृद्धि को बढ़ाने, स्कूलों में नामांकन में बढ़ोतरी आदि के पर्याप्त सबूत हैं.
- फिर भी 2010 के आखिर में और 2011 की शुरुआत में मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका (एमईएनए) के प्रमुख शहरों में लाखों लोग सड़कों पर बदलाव की मांग करते हुए उतर आए.
- जीवन की गुणवत्ता में तेजी से बढ़ रहे और बड़े पैमाने पर साझा किए जाने वाले असंतोष के साथ – मूल्य सर्वेक्षणों में अनुभव जन्य आंकड़े वस्तुनिष्ठ आंकड़े इस क्रांति के मुख्य कारण हैं.
- आम लोग खासकर मध्यम वर्ग के लोग औपचारिक क्षेत्रों में नौकरी के कम अवसरों, जन सेवाओं की खराब गुणवत्ता और सरकारी जवाबदेही में कमी के कारण अपने जीवन के बिगड़ते मानकों से निराश थे.
- साल 2010 तक अरब क्रांति में जिन देशों के लोगों ने सबसे अधिक योगदान दिया उनमें – सीरिया, लीबिया, ट्यूनेशिया, मिस्र और यमन के लोग हैं.ये लोग दुनिया के सबसे कम खुश रहने वालों में से हैं.
- असंतोष व्यापक है लेकिन यह बीच वाले 40 फीसदी आबादी के लिए नीचे वाले 40 फीसदी आबादी की तुलना में अधिक स्पष्ट दिखता है.
- इसके अतिरिक्त संपत्ति की असमानता जो खासकर आमदनी की असमानताओं की तुलना में अधिक है, अरब क्रांति के भड़कने का कारण हो सकता है. मानक आर्थिक आंकड़े में इस पर गौर नहीं किया गया है.
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