विश्व बैंक बोर्ड ने 30 जून 2015 को भारत के उत्तरी हिस्से को पूर्वी हिस्से से जोड़ने वाले ईस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर(ईडीएफसी) को 65 करोड़ डॉलर के ऋण की मंजूरी प्रदान की है.
वर्ल्डर बैंक द्वारा ईस्ट6र्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के लिए स्वी कृत किया गया यह तीसरा ऋण है.
यह फ्रेट कॉरीडोर देश के पूर्वी और उत्तरी हिस्से में कच्चे और तैयार माल की आवाजाही को सुगम बनाएगा.
ईस्टर्न कॉरिडोर 1840 किलोमीटर लम्बा है और यह कोलकाता से लुधियाना के मध्य फैला हुआ है. इस राशि का इस्ते.माल उत्तरर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब से गुजरने वाले 401 किमी लम्बे लुधियाना खुर्जा खंड के निर्माण में किया जाएगा.
इस परियोजना के तहत एक्सल लोड सीमा को 22.9 से बढ़ा कर 25 टन कर दिया जाएगा और गति सीमा को बढ़ा कर 100 किमी/घंटा कर दिया जाएगा. इसके अतिरिक्त यह इंडिया लिमिटेड डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन (डीएफसीसीआईएल) की संस्थागत क्षमता को विकसित करने में मदद करेगा.
विदित हो विश्व बैंक बोर्ड द्वारा ईस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर कार्यक्रम के तहत 343 किमी खुर्जा-कानपुर खंड के लिए 975 मिलियन डॉलर का ऋण मई 2011 को अनुमोदित किया गया था.
जबकी 402 किमी लम्बे मुगल सराय से कानपुर खंड के लिए 1.1 बिलियन डॉलर का ऋण अप्रैल 2014 में अनुमोदित किया गया था.
डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के बारे में -
ईस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर भारत के डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) कार्यक्रम का हिस्सा है. इस कार्यक्रम के तहत पश्चिमी और पूर्वी कॉरीडोर का निर्माण किया जा रहा है. परियोजना के अंतर्गत इन गलियारों को भारत के चार बड़े शहरों दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता को जोड़ने वाले स्वर्णिम चतुर्भुज के समानांतर बनाया जाएगा. यह औद्योगिक गलियारा उच्च क्षमता और उच्च गति को समर्पित होगा. यह गलियारा रेलवे की ढुलाई क्षमता को बढ़ाने में मदद करेगा. वर्तमान में स्वर्णिम चतुर्भुज पर रेलवे नेटवर्क का मात्र 16 प्रतिशत हिस्सा जो की रेलवे की कुल माल ढुलाई के 60 प्रतिशत भार का वहन करता है.
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