आयरन सल्फेट ग्लोबल वार्मिंग को रोकने में सहायक है. जर्मन वैज्ञानिक के नेतृत्व में एक वैज्ञानिक दल ने यह खोज की. आयरन सल्फेट रसायन को समुद्र और महासागर में डाले जाने पर वह बढ़ गए कार्बन डाइआक्साइड को कई सदियों के लिए खत्म कर देता है.
अंटार्टिका के पास महासागर में वैज्ञानिकों ने यह प्रयोग करते हुए सात टन आयरन सल्फेट समुद्र में डाला. इसके तीन हफ्ते बाद देखा गया कि अंटार्टिका के नीचे पहले कई किलोमीटर के हरित वन खत्म हो गए.
विदित हो कि हरित वनों के कारण कार्बन की मात्रा बढ़ती है. समुद्र की सतह पर बहने वाले इन पौधों के मरने से जल्दी ही कार्बन तत्व सोख लिए गए. साथ ही आयरन सल्फेट डालने के एक माह बाद देखा गया कि यह आधे से ज्यादा पादप समुद्र जल की सतह से एक हजार मीटर तक नीचे चले गए हैं. समुद्र की तली यानी लगभग 3800 मीटर तक इसका तत्व पहुंचा है. समुद्र में आयरन की यह खाद एक गीगा टन कार्बन डाईआक्साइड प्रतिवर्ष खत्म कर सकती है. समुद्र में प्रति वर्ष 8 से 9 गीगाटन कार्बन डाईआक्साइड उत्पन्न होती है. जिसमें से वाष्पीकरण के जरिए करीब 4 गीगाटन कार्बनडाईआक्साइड वातावरण में मिल जाता है. महासागर से वातावरण में सीओ 2 पहुंचने की इस कड़ी में अगर कुछ कमी हो जाती है तो ग्लोबल वार्मिंग से बहुत निजात मिल सकती है.
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