वैश्विक हथियार व्यापार का नियमन करने वाली महत्वपूर्ण संधि ‘एटीटी’ प्रभाव में आई

Dec 29, 2014, 17:56 IST

संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक हथियार व्यापार का नियमन करने वाली महत्वपूर्ण संधि ‘एटीटी’ (Arms Trade Treaty) 24 दिसंबर 2014 से लागू हो गई.

संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक हथियार व्यापार का नियमन करने वाली महत्वपूर्ण संधि ‘एटीटी’ (Arms Trade Treaty) 24 दिसंबर 2014 से लागू हो गई. 23 दिसंबर 2014 तक विश्व के 60 देशों ने इस संधि को अंगीकार कर लिया था और 130 देशों ने इस पर हस्ताक्षर कर दिए थे. उनके हस्ताक्षर से ये संकेत मिलते हैं कि वे इसे अपनाने के लिए तैयार हैं. वैश्विक हथियार संधि, संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2 अप्रैल 2013 को अंगीकृत किया गया था.


 इस संधि की प्रमुख विशेषताओं में निम्नलिखित बिंदु शामिल है

•    संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अप्रैल 2013 में स्वीकार की गई, हथियार व्यापार संधि ऐसा पहला बहुपक्षीय समझौता है, जो किसी देश को उस स्थिति में ऐसे अन्य देशों को पारंपरिक हथियारों का निर्यात करने से कानूनी तौर पर रोकता है, जहां उसे पता हो कि इन हथियारों का इस्तेमाल जनसंहार, मानवता के खिलाफ अपराधों या युद्ध अपराधों में किया जा सकता है.
•    यह संधि वैश्विक हथियार व्यापार के मामले में जिम्मेदारी, जवाबदेही और पारदर्शिता लाने के अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों का एक नया अध्याय शुरू करती है.
•    इस महत्वपूर्ण संधि से जुड़े देशों की कानूनी जिम्मेदारी होगी कि वे हथियारों और युद्धक सामग्री के हस्तांतरण में सर्वोच्च आम मानकों का पालन करें.
•    इस संधि ने पारंपरिक हथियारों के व्यापारों के नियमन के लिए संभावित सर्वोच्च अंतरराष्ट्रीय मानकों की स्थापना की है.
•    वर्ष 1996 में व्यापक परमाणु परिक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (Comprehensive Nuclear Test Ban Treaty )पर हस्ताक्षर किये गए थे. उस संधि के बाद परमाणु हथियारों के प्रसार को नियंत्रित करने वाली यह दूसरी सबसे बढ़ी संधि है.
•    रूस, चीन, भारत और पाकिस्तान जैसे हथियारों के बड़े निर्माताओं ने इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं.
•    जिन शीर्ष हथियार निर्यातकों ने इस संधि पर हस्ताक्षर किए हैं और इसे अंगीकार किया है, उनमें ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी शामिल हैं.
•     विश्व के सबसे बड़े हथियार निर्यातक अमेरिका ने इस संधि पर सितंबर 2013 में हस्ताक्षर किए थे लेकिन सीनेट ने अभी तक इसकी पुष्टि नहीं की है.


भारत एवं एटीटी

भारत ने वर्ष 2013 में इस संधि को स्वीकार किए जाने के बाद जिनेवा में आयोजित निशस्त्रीकरण सम्मेलन में कहा था कि, इस तरह की संधि से वास्तविक प्रभाव पारंपरिक हथियारों की अवैध तस्करी और इनके  आतंकियों एवं अन्य अनाधिकृत, राज्येतर ताकतों द्वारा इस्तेमाल पर पड़ना चाहिए.
भारत ने इस बात पर भी लगातार जोर दिया है कि एटीटी को निर्यातक और आयातक दोनों ही देशों के बीच जिम्मेदारी का संतुलन सुनिश्चित करना चाहिए. भारत ने कहा था कि वह इस संधि को स्वीकार नहीं कर सकता जिसे निर्यातक देश खुद पर बिना किसी अंकुश लगाये हुए आयातक देशों के खिलाफ जबरन एकपक्षीय कदम उठाने के लिए अपने हाथ के खिलौने की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं. अंतिम मसौदे के ये प्रावधान भारत की जरूरतों के अनुरूप नहीं हैं. भारत का कहना था कि इस प्रस्ताव के साथ संलग्न संधि मसौदा आतंकवाद और राज्येत्तर ताकतों के मामले में  कमजोर है और इन चिंताओं का कोई जिक्र संधि के विशेष निषेधों में नहीं है.

 

विदित हो कि भारत उन 23 देशों में शामिल था, जिन्होंने वर्ष 2013 में इस संधि प्रस्ताव पर मतदान से खुद को अलग रखा था.
टिप्पणी
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इस संधि को स्वीकार किए जाने के दो वर्ष से भी कम समय में इसका लागू हो जाना बहुत बड़ी उपलब्धि है, इस संधि को हमारे द्वारा लागू करना आतंकियों और आपराधिक संगठनों को हथियारों के भेजे जाने पर रोक लगाने के हमारे साझा संकल्प की पुष्टि करता है.

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