परिवहन, पर्यटन और संस्कृति पर सीताराम येचुरी की अध्यक्षता में गठित संसदीय समिति ने 6 फरवरी 2014 को भारतीय नागर विमानन प्राधिकरण (सीएए) विधेयक, 2013 पर अपनी रिपोर्ट संसद में प्रस्तुत की. संसदीय समिति ने भारत सरकार से वायुयान अधिनियम, 1934 पर दोबारा चर्चा कर एक व्यापक विधेयक तैयार करने के लिए कहा. समिति ने वायुयान अधिनियम, 1934 पर पुनर्विचार करने का सुझाव इसलिए दिया है, क्योंकि उसे लगा कि अधिनियम इतना पुराना है कि विमानन क्षेत्र की उभरती समस्याओं का समाधान नहीं कर सकता.
अपनी सिफारिशों में समिति को लगता है कि नागर विमानन प्राधिकरण का अध्यक्ष केवल अंशकालिक होना चाहिए, क्योंकि पूर्णकालिक अध्यक्ष और महानिदेशक के बीच गतिरोध होने की आसन्न संभावना मौजूद है. अपनी सिफारिशों में उसने प्राधिकरण के अध्यक्ष, महानिदेशक (डीजी) और पूर्णकालिक सदस्यों की नियुक्ति के लिए बनने वाली चयन-समिति में विशेषज्ञों की संख्या बढ़ाने का भी सुझाव दिया.
पृष्ठभूमि
अगस्त 2013 में लोकसभा में एक विधेयक प्रस्तुत किया गया था, जिसमें भारतीय विमानन क्षेत्र के लिए नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के स्थान पर विनियामक (रेग्यूलेटर), नागर विमानन प्राधिकरण (सीएए) बनाने का प्रावधान है. लोकसभा में यह विधेयक नागर विमानन राज्यमंत्री केसी वेणुगोपाल ने भारतीय नागर विमानन प्राधिकरण (सीएए) विधेयक, 2013 के रूप में सीएए को नागर विमानन सुरक्षा से संबंधित सभी मुद्दों के विनियमन और तेजी से बदलती विमानन प्रणाली में उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा के लिए पूर्ण परिचालनात्मक और वित्तीय स्वायत्तता प्रदान करने के लिए प्रस्तुत किया था.
संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के निकाय — अंतरराष्ट्रीय नागर विमानन संगठन (आईसीएओ) और यूएस रेग्यूलेटर फेडरल एवियेशन एडमिनिस्ट्रेशन (एफएए) ने डीजीसीए की लेखापरीक्षाएँ (ऑडिट्स) करने के बाद असंतोषजनक स्थिति का उल्लेख किया था, जिसके बाद सरकार विधेयक लाई थी. विधेयक में डीजीसीए के स्थान पर सीएए की स्थापना का प्रावधान है, जो नागर विमानन सुरक्षा का प्रशासन और विनियमन करेगा तथा वायु परिवहन परिचालकों, अन्य नागर विमानन सुविधाओं के परिचालकों और वायुसेवा विमान-संचालन परिचालकों की सुरक्षा संबंधी चूकों का प्रबंधन करेगा.
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