संयुक्त राष्ट्र द्वारा 23 नवम्बर 2015 को जारी रिपोर्ट के अनुसार पिछले 20 वर्षों में 90 प्रतिशत प्राकृतिक आपदाओं में जलवायु संबंधित समस्याएं ही शामिल हैं. इस दौरान रिकॉर्ड की गयी 6,457 बाढ़, तूफ़ान, हीटवेव, अकाल एवं जलवायु सम्बन्धी घटनाएं शामिल हैं.
रिपोर्ट शीर्षक, ‘द ह्यूमन कॉस्ट ऑफ़ वेदर रिलेटेड डिसास्टर्स’के अनुसार वर्ष 1995 से अब तक 6,00,000 लोग इन आपदाओं के कारण अपनी जान खो चुके हैं. रिपोर्ट से जुड़ी अन्य विशेषताएं :
• 4.1 बिलियन लोग घायल, बेघर एवं आपातकाल जैसी परेशानियों का शिकार हुए हैं.
• पांच देशों संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, भारत, फिलीपिंस एवं इंडोनशिया में सबसे अधिक आपदाएं दर्ज की गयीं.
• संयुक्त राष्ट्र आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्यालय (यूएनआईएसडीआर) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार केवल 35 प्रतिशत रिकार्ड्स में आर्थिक दिक्कतों का जिक्र किया गया है.
• यूएनआईएसडीआर के अनुमान के अनुसार भूकंप एवं सूनामी के कारण 250 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर की हानि हुई.
• वर्ष 2008 में म्यांमार में आये नरगिस तूफ़ान के कारण एशिया में 1,38,000 लोगों की मृत्यु हुई.
• वर्ष 1995 से 2015 तक बाढ़ से जलवायु संबंधित आपदाओं का कुल 47 प्रतिशत भाग शामिल है जिसमें 2.3 बिलियन लोग प्रभावित हुए एवं 1,57,000 मारे गये.
• तूफानों से सबसे अधिक हानि हुई जिसमें 2,42,000 लोगों की मृत्यु हुई जो विश्व के कुल जलवायु संबंधित प्रभाव का 40 प्रतिशत है.
• कुल मिलाकर हीट वेव के कारण उत्पन्न हुए अधिक तापमान से 1,48,000 लोगों की मृत्यु हुई जिसमें विकसित देशों में हुई मृत्यु की दर 92 प्रतिशत है.
• सूखे के कारण अफ्रीका में सबसे अधिक प्रभाव पड़ा, वर्ष 1995 से 2015 के बीच 136 बार यह घटनाएं सामने आ चुकी हैं जिनमें 77 अकाल पूर्वी अफ्रीका में दर्ज किये गये.
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