सर्वोच्च न्यायालय ने सांसद-विधायक को मिले कानूनी विशेषाधिकार से संबंधित मध्य प्रदेश विधानसभा के एक मामले पर फैसला देते हुए 25 फरवरी 2014 को कहा कि सदन से बाहर की गतिविधियों के मामलों में सांसद-विधायक को कानूनी विशेषाधिकार प्राप्त नहीं है.
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि सदन के सदस्यों पर भी कानून उसी तरह लागू होते हैं जैसे आम नागरिकों पर होते हैं. भ्रष्टाचार के मामले में विधानसभा के अधिकारियों के खिलाफ जांच को विशेषाधिकार हनन नहीं कहा जा सकता.
मुख्य न्यायाधीश पी. सतशिवम की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सदन को प्राप्त विशेषाधिकार की व्याख्या करते हुए यह फैसला सुनाया.पीठ ने सदन के सदस्यों को प्राप्त विशेषाधिकार के बारे में विभिन्न कमेटियों की रिपोर्टो और कोर्ट के पूर्व फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि विशेषाधिकार वे अधिकार हैं, जिनके बगैर सदन अपनी विधायी कार्यवाही नहीं चला सकता. ये कानूनी विशेषाधिकार सदस्यों को सदन से बाहर की गतिविधियों के मामलों में लागू नहीं.
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