भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 20 वर्ष पुराने आपराधिक मामले के अभियुक्त पाकिस्तान के नागरिक और माइक्रो बॉयोलॉजिस्ट मोहम्मद खलील चिश्ती को हत्या के आरोप से 12 दिसंबर 2012 को बरी किया, साथ ही उन्हें बिना किसी प्रतिबंध के स्वदेश जाने की अनुमति प्रदान की. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी सदाशिवम और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की पीठ ने यह निर्णय दिया.
सर्वोच्च न्यायालय ने जानबूझकर नुकसान पहुंचाने के मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 324 के तहत उनकी दोष-सिद्धि में हस्तक्षेप से इंकार कर दिया और उतनी ही सजा सुनाई, जितनी कि वह जेल में पहले ही काट चुके हैं.
भारत के विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने पाकिस्तानी सूक्ष्मजीव विज्ञानी मोहम्मद खलील चिश्ती की रिहाई के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत किया.
विदित हो कि मोहम्मद खलील चिश्ती को राजस्थान में वर्ष 1992 में एक हत्या के सिलसिले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी, जिसे उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी.
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