सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय संग्रहालय के महानिदेशक सीवी आनंदबोस की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया. इस समिति का उद्देश्य केरल में श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर की सम्पत्ति का पता लगाना, उसके संरक्षणं की निगरानी करना तथा संग्रहालय बनाने के बारे में सुझाव देना है. इस समिति को अपनी रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय को देना है. विशेषज्ञ समिति का गठन सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरवी रवीन्द्रन और एके पटनायक की पीठ ने 21 जुलाई 2011 को किया. रिजर्व बैंक आफ इंडिया और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के प्रतिनिधि तथा मंदिर के कार्यकारी अधिकारी और संग्रहालय विशेषज्ञ एमडी नायर को समिति में सदस्य के रूप में रखा गया. न्यायालय ने समिति को यह निर्देश दिया कि खजाने से निकली संपत्तियों को तीन भागों में बांटे. पहली ऐतिहासिक महत्व की वस्तुएं, दूसरी वे वस्तुएं जो मंदिर के नियमित उपयोग में आती हों और तीसरी श्रेणी में वे वस्तुएं जो बेशकीमती हों. सम्पत्ति का पता लगाने की पूरी प्रक्रिया के फोटो खींचे जाएं और वीडियो फिल्म बनाई जाए. साथ ही मीडिया को भी निर्देश दिया कि कुल सम्पत्ति का मूल्यांकन हुए बिना उसकी कीमत के बारे में अटकलें न लगाएं.
सीवी आनंदबोस की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति पर एक तीन सदस्यीय निगरानी समिति का भी गठन किया.
विदित हो कि न्यायालय ने मार्तंड वर्मा और उनके परिवार के सदस्यों की याचिका पर ये निर्देश दिए. मार्तंड वर्मा और उनके परिवार के सदस्यों ने मंदिर की सम्पत्ति और प्रबंध राज्य सरकार को सौंपे जाने के केरल उच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी.
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