सर्वोच्च न्यायालय देश में आवश्यक दवाओं की कीमतें निर्धारित करने संबंधी केंद्र सरकार की नई औषध मूल्य नीति की समीक्षा करने के लिए 6 अगस्त 2013 को तैयार हो गया.
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी की अध्यक्षता वाली पीठ ने औषध नीति को चुनौती देने वाली याचिका में केंद्र सरकार द्वारा दवाओं के निर्धारित मूल्यों पर सवाल उठाये हैं. इसके साथ ही पीठ ने इस पर केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.
पीठ ने याचिका में उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अवलोकन के बाद टिप्पणी की, ‘‘दवाओं के उत्पादन की लागत पर निर्माताओं और विक्रेताओं का लाभ 10 से 1300 प्रतिशत तक हो गया है.’’
विदित हो कि बाजार मूल्य और सरकार द्वारा निर्धारित कीमत तथा दवा की उत्पादन लागत का विश्लेषण करके यह आकलन याचिकाकर्ता ने तैयार किया.
राष्ट्रीय औषध मूल्य नीति (National Pharmaceutical Pricing Policy)
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय औषध मूल्य नीति (National Pharmaceutical Pricing Policy) को 22 नवंबर 2012 को मंजूरी प्रदान की थी. इससे 348 आवश्यक दवाएं मूल्य नियंत्रण के दायरे में आ गई. इसका उद्देश्य दवाओं के मूल्य के लिए नियामक ढांचे को लागू करना है, जिसकी इनकी उपलब्धता सस्ते दाम पर सुनिश्चित हो सके.
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