प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में 9 सितंबर 2015 को सम्पन्न केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में सार्वभौमिक स्वर्ण बांड (एसजीबी) योजना को मंजूरी दी गई. इसकी घोषणा केंद्रीय बजट 2015-16 में केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा की गई थी.
एसजीबी को वर्ष 2015-16 और उसके आगे की अवधि के लिए सरकार के बाजार उधार कार्यक्रम के दायरे में जारी किया जाएगा. वित्त मंत्रालय से सलाह के बाद जारी करने की वास्तविक मात्रा भारतीय रिजर्व बैंक तय करेगा. सोने की कीमतों में बदलाव संबंधी जोखिम को स्वर्ण भंडार निधि द्वारा वहन किया जाएगा. इससे सरकार को उधार लागत में कमी लाने का लाभ होगा जिसे स्वर्ण भंडार निधि में हस्तांतरित किया जाएगा.
इस योजना से सोने की मांग में कमी आएगी और प्रतिवर्ष 300 टन सोने की छड़ें और सिक्कों की खरीदारी के लिए किए जाने वाले निवेश को स्वर्ण बांड में लगाया जा सकेगा. भारत में सोने की मांग अधिकतर आयात द्वारा पूरी की जाती है. इस योजना से देश के चालू खाते के घाटे को सीमित करने में मदद मिलेगी.
सार्वभौमिक स्वर्ण बांड योजना से संबंधित मुख्य तथ्य:
• सार्वभौमिक स्वर्ण बांड (एसजीबी) नकदी भुगतान पर जारी किया जाएगा और ग्राम आधारित सोने के वजन के अनुरूप होगा.
• भारत सरकार की तरफ से भारतीय रिजर्व बैंक बांड जारी करेगा. बांड की सार्वभौमिक गारंटी होगी.
• एसजीबी जारी करने वाली एजेंसी वितरण खर्च और बिक्री कमीशन बिचौलिए चैनलों को देगी जिसे भारत सरकार पुनर्भुगतान करेगी.
• बांड की बिक्री केवल भारत में रहने वाले नागरिकों को की जाएगी. बांड की अधिकतम सीमा एक समुचित स्तर पर रखी जाएगी जो प्रति व्यक्ति, प्रतिवर्ष 500 ग्राम से अधिक नहीं होगी.
• सरकार अपने द्वारा निर्धारित ब्याज दर पर बांड जारी करेगी. ब्याज दर तय करते समय घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार की परिस्थितियों का ध्यान रखा जाएगा जो परिवर्तनशील होंगी. यह ब्याज दर निवेश के समय सोने के मूल्य के अनुरूप तय की जाएगी. तयशुदा आधार पर ब्याज दर परिवर्तनशील या स्थिर होगी.
• बांड डीमेट या कागज के रूप में होंगे. बांड सोने के 5,10,50,100 ग्राम के आधार पर या अन्य आधारों पर होंगे.
• सोने की कीमत संदर्भ दर पर तय की जाएगी और कुल रकम रुपये में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बांड जारी होने और वापस लेने के अवसर पर संदर्भ दरों के आधार पर तय की जाएगी.
• यह दर बांड जारी करने, वापस लेने, एलटीबी उद्देश्य और ऋण चुकाने के लिए इस्तेमाल होगी.
• बैंक, गैर बैंकिंग वित्तीय कम्पंनियों, डाकघरों, राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र के एजेंट एवं अन्य सरकार की तरफ से बांड खरीदने के लिए धन एकत्र करेंगे और उन्हें वापस देने की प्रक्रिया भी पूरी करेंगे. इसके लिए शुल्क रकम के आधार पर तय किया जाएगा.
• बांड की अवधि न्यूूनतम 5 से 7 वर्षों की होगी ताकि सोने की कीमतों के मध्यकालीन उतार-चढ़ाव से निवेशकों की सुरक्षा हो सके. ये बांड सार्वभौमिक उधार का अंग हैं इसलिए उन्हें वर्ष 2015-16 और उसके आगे की अवधि के संदर्भ में वित्तीय घाटे के दायरे में रखे जाने की आवश्यकता है.
• इन बांडों को ऋण के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इस ऋण का अनुपात समय-समय पर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित साधारण स्वर्ण ऋण के बराबर होगा.
• बांडों को एक्सचेजों में बेचा जा सकेगा और उसका कारोबार किया जा सकेगा ताकि निवेशक अपनी इच्छाे से बाजार से निकल सकें.
• केवाईसी नियम सोने के समान ही होंगे.
• पूंजीगत कर व्यक्तिगत निवेशक के लिए सोने के तरह ही होंगे. राजस्व विभाग आयकर अधिनियम के मौजूदा प्रावधानों में संशोधनों के लिए तैयार है ताकि बांड के हस्तांतरण से प्राप्त होने वाले दीर्घकालिक पूंजी लाभ को शामिल किया जा सके. इसके अलावा एसजीबी को बेचने से होने वाले पूंजी अर्जन के लिए छूट के प्रावधान को भी शामिल किया जाना है.
• बांड से प्राप्त होने वाली रकम सरकार अपनी उधारी के लिए प्रयोग करेगी और रकम पर बचाया जाने वाला ब्याज स्वर्ण भंडार निधि के खाते में जमा किया जाएगा. सरकार की उधारी की मौजूदा दर की तुलना के आधार पर उधारी लागत में होने वाली बचतों को स्वर्ण भंडार निधि में जमा किया जाएगा ताकि सोने की कीमतों की वृद्धि का जोखिम सरकार उठा सके. इसके अलावा स्वर्ण भंडार निधि की लगातार निगरानी की जाएगी ताकि उसका रख-रखाव होता रहे.
• बांड के परिपक्व हो जाने पर उसकी वापसी केवल रुपये में होगी. बांडों की ब्याज दर निवेश के समय सोने के मूल्य के आधार पर तय की जाएगी. निवेश का मूलधन जो सोने के ग्राम आधार पर होगा उसकी वापसी उस समय की सोने की कीमत के अनुसार होगी. यदि सोने की कीमत निवेश के समय की कीमत से कम हो जाती है या कोई अन्य कारण उत्पन्न होता है तो जमाकर्ता को यह विकल्प दिया जाएगा कि वह अपने बांड को तीन या अधिक वर्षों के लिए दोबारा प्राप्त कर ले.
• जमा संबंधी सोने की कीमत और मुद्रा की स्थिति से जो भी जोखिम उत्पन्न होगा, उसे सरकार स्वर्ण भंडार निधि से वहन करेगी. यदि स्वर्ण भंडार निधि को कायम रखने में कठिनाई आ रही है तो उसकी स्थिति की समीक्षा की जाएगी.
• अर्जन और घाटे संबंधी जोखिम निवेशकों के ऊपर होंगे और निवेशकों को सोने की कीमतों के उतार-चढ़ाव के प्रति जागरूक रहना होगा.
• उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए बांडों को डाकघरों, बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों और एनएससी एजेंटों सहित विभिन्न ब्रोकरों और एजेंटों के जरिए उपलब्ध कराया जाएगा. इसके लिए उन्हें कमीशन प्राप्त होगा.
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