रक्षामंत्री एके एंटनी ने वायुसेना के हिंडन ठिकाने से 70 टन क्षमता के सबसे बड़े सी-17 ग्लोब मास्टर-3 भारी मालवाहक विमान को विधिवत भारतीय वायुसेना में 2 सितम्बर 2013 को शामिल किया, जिससे सैनिकों और टैंकों को युद्ध मोर्चे पर लाने-ले जाने की क्षमता बढ़ गई. रक्षामंत्री ने यूनिट के कमांडिंग आफिसर को विमान की चाबी सौंपी.
इसके द्वारा वायुसेना में अबतक के सबसे बड़े रूसी विमान आईएल-76 का स्थान लिया जाना है, जिसकी क्षमता करीब 40 टन तक की है. इस सी-17 विमान की क्षमता करीब 70 टन वजन और करीब 150 पूरी तरह लैस सैनिकों को ले जाने की है.
इस विमान का शामिल होना वायुसेना के लिए बड़ी उपलब्धि है और यह सैन्य और गैर-परम्परागत उड़ाने भी भर सकेगा. सी-17 ग्लोब मास्टर-3 विमान अमेरिका से 20 हजार करोड़ रूपये से अधिक के सौदे के तहत खरीदा गया. यह विमान पूर्वोत्तर राज्यों में उन्नत लैंडिंग स्थलों और उत्तर तथा अंडमान-निकोबार द्वीप के ऊंचाई वाले ठिकानों से भी उड़ान भर सकेगा.
भारतीय वायुसेना ने वर्ष 2011 में हुए समझौते के तहत दस सी-17 अमेरिकी विमानों का ऑर्डर दिया है, जिनमें से तीन प्राप्त हो चुके हैं. अमेरिकी वायुसेना द्वारा वर्ष 2014 तक के अंत तक सभी 10 विमान सप्लाई कर दिए जाने हैं. अमेरिकी वायु सेना ने इसे विकसित किया. दस विमानों के सौदे के साथ ही भारतीय वायुसेना इस विमान की संख्या में अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है. ग्लोबल मास्टर साढ़े तीन हजार फीट से कम के स्थान पर भी उड़ान भर सकता है. आपदा और युद्ध के दौरान माल के साथ सेना को भी उतारा जा सकता है.
सी-17 ग्लोब मास्टर-3 की मुख्य विशेषताएं
• इसकी लंबाई 174 फीट है.
• यह अत्याधुनिक माल लदान की क्षमता से युक्त है .
• इसके डैने 170 फीट में फैले हैं.
• इसका कुल वजन 265350 किलोग्राम है.
• यह विमान विपरीत मौसमी परिस्थितियों में काम करने में सक्षम है.
• इसकी माल वहन क्षमता 76519 किलोग्राम है.
• इस विमान की रफ्तार 830 किलोमीटर प्रति घंटा है.
• इसकी ईंधन क्षमता 134556 लीटर है.
• यह आधुनिक मालवाहक विमान है.
• यह छोटे और कम सुविधाओं वाले रनवे पर भी उतरने में सक्षम है.
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