केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने सर्वोच्च न्यायालय में 16 जुलाई 2013 को दाखिल शपथ पत्र में अधिक वित्तीय स्वायत्तता की मांग की. इसके साथ ही सीबीआई ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया है कि उसके निदेशक को 2 वर्ष की बजाय कम से कम 3 वर्ष का कार्यकाल दिया जाना चाहिए और उसका पद सचिव के बराबर होना चाहिए.
स्वायत्तता के मुद्दे पर केंद्र के प्रस्ताव के जवाब में सीबीआई ने कहा है कि निदेशक को अधिक शक्तियां प्रदान की जानी चाहिए ताकि जांच एजेंसी बिना किसी भय या पक्षपात के अपना काम कर सके.
निदेशक के प्रशासनिक एवं वित्तीय अधिकारों को सीमित बताते हुए सीबीआई ने अपने 14 पन्ने के शपथ पत्र में कहा कि केंद्र सरकार ने सीबीआई की स्वायत्तता और इसे बाहरी प्रभावों से मुक्त करने हेतु जो उपाय बताए हैं, उससे कहीं ज्यादा कदम उठाने की जरूरत है. एजेंसी के निदेशक में सचिव जैसे ही अधिकार निहित हों और वह सीधा मंत्री को रिपोर्ट कर सकें. निदेशक को इसके लिए कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) से होकर नहीं गुजरना पड़े.
शपथ पत्र में कहा गया, यह दोहराने की जरूरत है कि सीबीआई की दक्षता और रोजमर्रा के कामकाज में मंत्रालय के दखल से आजाद करने हेतु उसे प्रशासनिक और वित्तीय अधिकार देना जरूरी हैं. रोजमर्रा के प्रशासनिक और वित्तीय मंजूरियों हेतु जो निदेशक मंत्रालय पर निर्भर रहता है वह जटिल परिस्थितियों में स्वतंत्र और वस्तुनिष्ठ निर्णय नहीं कर सकता.
इसके अलावा सीबीआई ने अपने अधिकारियों के दुर्व्यवहार, अनुचित व्यवहार या अनियमितताओं के आरोपों की जांच के लिए केंद्र के जवाबदेही आयोग के गठन के प्रस्ताव का विरोध किया.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation