सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ डायरेक्ट टैक्सेज़ (सीबीडीटी) ने दो बहु-राष्ट्रीय कंपनियों के साथ 3 अगस्त 2015 को दो अग्रिम मूल्य निर्धारण समझौतों (एपीए) पर हस्ताक्षर किये. इस समझौते का उद्देश्य कर निर्धारण में निश्चितता लाना है.
इसमें पहली बार एपीए सहित रोलबैक का प्रावधान भी दिया गया है जिसके अनुसार कर निर्धारण को नौ वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है जो अभी पांच वर्ष तक है.
इससे सीबीडीटी द्वारा एपीए समझौतों पर हस्ताक्षर करने की संख्या 14 हो गयी है जिसमें 13 स्वतंत्र समझौते हैं. यह समझौते टेलीकम्यूनिकेशन, तेल अन्वेषण, फार्मास्युटिकल्स, फाइनेंस, बैंकिंग तथा सॉफ्टवेयर से संबंधित हैं.
एपीए क्या है
एपीए अंतरराष्ट्रीय लेनदेन तथा हस्तांतरण की कीमतों को व्यवस्थित करने के लिए पूर्व नियोजित समय पर अपनाये गए साधन हैं. इस समय दो प्रकार के एपीए कार्यरत हैं जिनमें एकपक्षीय तथा द्विपक्षीय एपीए शामिल हैं.
स्वतन्त्र अथवा एकतरफा एपीए वे समझौते हैं जिन्हें भारतीय करदाताओं तथा सीबीडीटी द्वारा सहमति प्राप्त है तथा इसमें कर एकत्रित करने वाली अथॉरिटी का कोई हस्तक्षेप नहीं होता. दूसरी ओर, द्विपक्षीय एपीए के अनुसार कर एकत्रित करने वाली अथॉरिटी तथा समझौते में शामिल दोनों देश शामिल होते हैं.
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