भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सहारा के म्यूचुअल फंड व्यवसाय का लाइसेंस 29 जुलाई 2015 को रद्द कर दिया. सेबी के अनुसार, सहारा यह कारोबार करने के लिए 'सक्षम और उपयुक्त' नहीं है और उसने अपनी कंपनी को अपना कारोबार किसी और फर्म (फंड हाउस) को ट्रांसफर करने का आदेश दिया.
सेबी ने सहारा म्यूचुअल फंड और सहारा एसेट मैनेजमेंट कंपनी को निर्देश दिया है कि वह मौजूदा या नए निवेशकों से योजना-अभिदान स्वीकार करना तत्काल प्रभाव से बंद कर दे. इसके साथ ही सहारा एमएफ से कहा है गया है कि वह सहारा इंडिया फाइनेंशियल कॉरपारेशन लिमिटेड और सहारा एसेट मैनेजमेंट कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के कारोबार को नए प्रायोजकों तथा सेबी से मंजूरशुदा आस्ति प्रबंधन कंपनी को यथाशीघ्र स्थानांतरित करने का प्रयास करे.
सेबी ने सहारा एमएफ के न्यासी मंडल से कहा कि वह इस दौरान यूनिट धारकों के हितों की रक्षा सुनिश्चित करे और इस पर निगरानी रखे. हस्तांतरण के बाद न्यासी मंडल का पुनर्गठन करना होगा. अगर सहारा एमएफ इस हस्तांतरण की प्रक्रिया को पांच महीने में पूरा करने में विफल रहती है, तो उसे निवेशकों को आवंटित यूनिट का पैसा अनिवार्य रूप से उन निवेशकों के खातों में डालना होगा. यह काम 30 दिन में निपटाकर कंपनी को अपना म्यूचुअल फंड परिचालन समेट लेना होगा.
विदित हो कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सहारा समूह की दो इकाइयों को 24,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि निवेशकों को लौटान का जब से आदेश दिया है, तभी से सहारा समूह की सेबी के साथ लंबी नियामकीय और कानूनी लड़ाई चल रही है.
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