सर्वोच्च न्यायालय ने हज यात्रा में दी जाने वाली सब्सिडी को दस वर्षों में समाप्त करने का आदेश दिया. सर्वोच्च न्यायालय ने बताया कि धार्मिक स्थलों पर जाने वाले लोगों को इस तरह की सब्सिडी देना अल्पसंख्यकों को लुभाने के समान है. साथ ही न्यायालय ने हज यात्रा के साथ भेजे जाने वाले सद्भावना प्रतिनिधिमंडल को भी सिर्फ दो सदस्यों तक सीमित करने का आदेश दिया.
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की पीठ ने 8 मई 2012 को हज यात्रा में दी जाने वाली सब्सिडी से संबंधित याचिकाओं पर अंतरिम आदेश जारी किया. पीठ ने केंद्र सरकार से 11000 हज यात्रियों के विशेष कोटे का आधार और ब्योरा मांगा, जबकि हज कमेटी से हज यात्रियों के चयन का तरीका पूछा गया. पीठ ने अपने निर्णय में पवित्र कुरान का भी तर्क दिया जिसमें बताया गया है कि हज व्यक्ति को अपने खर्च पर ही करना चाहिए.
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