हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने देवताओं को प्रसन्न करने के लिए दी जाने वाली पशुबलि पर 1 सितंबर 2014 को प्रतिबंध लगा दिया. अपने आदेश में उच्च न्यायालय ने कहा कि राज्य भर में कोई भी व्यक्ति किसी भी सार्वजनिक धार्मिक पूजा स्थल पर किसी भी पशु की बलि नहीं देगा.
आदेश के मुताबिक प्रतिबंधित क्षेत्रों में ऐसे धार्मिक पूजास्थलों के करीब के सभी भूमि और भवन शामिल है जो कि मूल रूप से धार्मिक उद्देश्यों या किसी समारोह/ यज्ञ/ मण्डली या जुलूस से किसी भी धार्मिक पूजा जुड़े हैं.
जस्टिस राजीव शर्मा और जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर वाली हाईकोर्ट की पीठ ने ये निर्देश पशुओं की बलि के अमानवीय प्रथा पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिकाओं की सुनवाई के बाद दिए. इसने सभी उपायुक्तों, पुलिस अधीक्षकों, उप– संभागीय अधिकारियों और स्टेशन हाउस अधिकारियों को इन निर्देशों का ईमानदारी से पालन करने का निर्देश दिया है.
अपने निर्देश में पीठ ने कहा है कि सभी धर्मों में बुनियादी सिद्धांतों और पशु बलि की प्रथा एक सामाजिक बुराई है और इसे रोके जाने की जरूरत है.
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