हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की अध्यक्षता में 17 अगस्त 2015 को आयोजित हिमाचल संस्कृत अकादमी की बैठक में प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में संस्कृत को अनिवार्य विषय करने का फैसला लिया गया है.
इसके अतिरिक्त बैठक में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने चियोग स्थित तुंगेश संस्कृत कॉलेज को सरकारी नियंत्रण में लेने के लिए औपचारिकताएं शीघ्र पूरी करने के निर्देश दिए ताकि इसे और बेहतर तरीके से चलाया जा सके.
मुख्यमंत्री ने अकादमी के सदस्यों से अपनी गतिविधिया जारी रखने और संस्कृत को बढ़ावा देने के प्रयासों में लगे रहने का आग्रह किया.
उन्होंने कहा कि अकादमी के सदस्य कार्यक्रम एवं परियोजनाएं बनाकर केंद्र सरकार को सौंपें.
बैठक में निर्णय लिया गया कि अकादमी में नियुक्त किए जाने वाले सचिव की आयु सीमा 65 वर्ष से अधिक नहीं होगी. इसके अतिरिक्त सचिव को पाँच वर्ष के कार्यकाल के लिए नियुक्त किया जाएगा. बैठक में सचिव के दर्जे को भी पूर्ववत रखने की स्वीकृति प्रदान की गई.
मुख्यमंत्री ने सहायक लाइब्रेरियन और वरिष्ठ सहायक (लेखा) के पद को एक सप्ताह के भीतर भरने के निर्देश दिए. साथ ही मासिक पत्रिका दिव्य ज्योति का स्वामित्व अकादमी को हस्तातरित करने के निर्देश दिए. उन्होंने अकादमी के द्विवार्षिक शोध पत्रिका के प्रकाशन को हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के साथ संयुक्त रूप से प्रकाशित करने की स्वीकृति प्रदान की.
बैठक के दौरान सेमिनारों व कार्यशालाओं में भाग लेने वाले शोधार्थियों को दी जाने वाली राशि को 400 से बढ़ाकर 500 रुपये करने व शोध पत्रिकाओं में शोध लेख प्रकाशन के लिए दी जाने वाली राशि को 800 से बढ़ाकर 1000 रुपये करने की घोषणा की गई. बैठक में मंदिर के पुजारियों को वैदिक पद्धति एवं साहित्य के अनुरूप प्रशिक्षण प्रदान करने को भी स्वीकृति प्रदान की गई.
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