वास्तव मे अकबर पूरे मुगल प्रशासन का सर्वे-सर्वा था। सारे कार्यकारी ,विधायी और न्यायिक फैसले उसके नाम से ही लिये जाते थे। उसके पास असीमित शक्ति थी. अकबर के मुंह से निकला हुआ शब्द राज्य का कानून होता था. उसका सारा प्रशासन चक्र उसके महान व्यक्तित्व के ही चारों ओर घुमता था. वह लोगो की भलाई करने वाला एक निरंकुश शासक था.
मुगल काल की मुख्य विशेषताओ मे अकबर ज़रिये बनाया गयी मंत्रियो की व्यवस्था थी. मंत्रियो की संख्या चार होती थी,उनके नाम वकील,दीवान या वज़ीर , मीर बख्शी और सदर-उस-सदर थे. बाद मे वज़ीर-ए-मुतलक के पद की प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए वज़ीर और वकील के पद को उसमे विलीन कर दिया गया था। प्रधानमंत्री या वज़ीर-ए-मुतलक मुख्य कार्य राज्य की सुरक्षा सुनिश्चित करना था. इसके पास अन्य मंत्रियो की देख-रेख के अलावा मंत्रियो को बर्खास्त करने व नियुक्त करने का भी अधिकार था. मीर बख्शी सैना व गुप्तचर विभाग का प्रमुख होता था. वह राजा को महत्वपूर्ण सैनिक नियुक्तियो व उनकी तरक्की के मामले सलाह मशविरा देता था. सदर-उस-सदर धार्मिक मामलों मे राजा का सलाहकार होता था.
सदर-उस-सदर साम्राज्य का मुख्य न्यायधीश भी होता था. इसके अलावा मीर-ए-आतिश,दारोगा-ए-तोपखाना,खान-ए-सामां,मुहतासिब नामक प्रमुख अधिकारी भी होते थे जो मुगल साम्राज्य के प्रशासनिक कार्यो मे अपनी-अपनी ज़िम्मेदारी निभाते थे. खान-ए-सामा पर शाही घराने के बावर्ची की ज़िम्मेदारी होती थी. मुहतासिब नामक अधिकारी मुस्लिम समाज मे इस्लामी कानूनो के पालन किया जा रहा है या नही, इस पर नज़र रखते थे. दारोगा-ए-डाक चौकी नामक अधिकारी डाक एंव गुप्तचर विभाग का काम सभांलता था.
अकबर का साम्राज्य 15 सूबो या राज्यो में विभाजित था. सूबे का गर्वनर अर्थात सूबेदार राज्य का प्रशासनिक मुखिया होता था. वह सूबे की पुलिस,सेना,न्यायपालिका व कार्यपालिका का भी मुखिया होता था। सूबे की सभी वित्तीय लेन-देन कार्य दीवान सभांलता था. राज्य में सेना के प्रबंधन की ज़िम्मेदारी बख्शी नामक अधिकारी की होती थी. सदर न्यायिक परोपकारिता विभाग का मुखिया होता था जबकि राज्य के स्तर पर न्याय विभाग का मुख्य अधिकारी काज़ी होता था. कोतवाल की जिम्मेदारी राज्य मे उसके नियंत्रण व निरीक्षण के अंर्तगत आने वाले थाना क्षैत्र मे शांति व्यावस्था बनाये रखने की होती थी. मीर बहर नामक अधिकारी आयात शुल्क और कर विभाग का प्रमुख होता था. राज्य की खुफिया सेवा का प्रमुख वाकिया नवीस कहलाता था.
शाही सूबे सरकार नामक ईकाइयो मे बंटे हुए थे तथा सरकारो को परगना नामक उप खंडो मे बांटा गया था। फौजदार एक सरकार का मुखिया होता था और अपने नियंत्रण वाले क्षैत्र मे शांति व्यावस्था बनाये रखने की ज़िम्मेदारी फौजदार की होती थी. परगना या उप-जिला का प्रमुख शिकदर नामक अधिकारी होता था। एक परगना मे कई गांव होते थे. एक गांव के प्रशासन के लिए मुकद्दम ,पटवारी और चौकीदार आदि अधिकारी होते थे जो ग्राम पंचायत की सहायता से अपनी प्रशासनिक जिम्मेदारी अंजाम देते थे.
राजस्व व्यावस्था मे कई नये प्रयोग भी इस दौर मे किये गये. जिसमे बटाई या गल्लाबख्शी व्यावस्था प्रमुख है। बटाई या गल्लाबख्शी तीन वर्गो मे विभाजित थीं – भौली बटाई ,खेत बटाई और लंग बटाई. भौली बटाई के अंर्तगत फसल को काट कर इकठ्ठा कर लिया जाता था फिर उसे सभी हिस्सेदारों की उपस्थिति मे बांट दिया जाता था. खेत बटाई व्यावस्था के अंर्तगत रोपाई के बाद ज़मीन को कई हिस्सो मे बांट दिया जाता था. और लंग बटाई मे फसल को बहुत से ढेरो मे बांट दिया जाता था. बटाई व्यावस्था के अंर्तगत किसान नकद या वस्तुओ मे भुगतान कर सकते थे लेकिन नकदी फसलो के मामले मे केवल नकद रकम ही वसूल की जाती थी.
उस समय प्रशासनिक व्यावस्था मे कानकूट नामक व्यावस्था शुरू की गई थी इस व्यावस्था मे पूरी ज़मीन को जरीब के ज़रिये या दौड़कर नाप लिया जाता था. तैयार फसलो की इस्पेक्टर द्वारा जांच की जाती थी. अकबर ने अपने प्रशासन मे नसाक व्यावस्था भी लागू की जिसके मुताबिक किसान और ज़मीदार के बीच एक समझौता था और किसान की ज़मीन का मूल्याकंन उसके द्वारा पूर्व मे अदा किये गये करो के आधार पर होता था. बाढ़ या सूखे के कारण फसल खराब हो जाने पर किसानो का कर माफ कर दिया जाता था. आमिल या करोरी नमक आधिकारी किसानो को बीज,औज़ार तथा जानवरो आदि के लिए कर्ज़ देता था. यह कर्ज़ तकव्वी कहलाता था.
सारांशत जब हम मुगल प्रशासन की प्रमुख उपलब्धियों व विशेषताओ की बात करते है तो उसका सारा श्रेय अकबर को ही जाता है. वास्तव मे तब हम मुगल प्रशासन की नही बल्कि अकबर प्रशासन की बात कर रहे होते है.
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