डेजेरियो और यंग बंगाल

1820 के दशक अंतिम समय और 1830 के दशक प्रारंभ में बंगाल के युवाओं में एक उग्र/क्रांतिकारी,प्रबुद्ध और बुद्धिजीवी चलन का उदय हुआ जिसे ‘यंग बंगाल आन्दोलन’ के नाम से जाना गया| एक युवा आंग्ल-भारतीय,हेनरी विवियन डेरेजियो,जिन्होनें 1826 से लेकर 1831 तक हिन्दू कॉलेज में अध्यापन किया था,इस प्रगतिशील आन्दोलन के नेता और प्रेरक थे| डेरेजियो ने कलकत्ता के युवाओं को व्यवहारिक रूप से प्रभावित किया और उनके बीच एक बौद्धिक आन्दोलन की शुरुआत की|

बंगाल में आधुनिक आन्दोलनों की शुरुआत करने में 1817 में स्थापित कलकत्ता के हिन्दू कॉलेज की महत्वपूर्ण भूमिका थी| डेविड हेयर,जोकि राम मोहन राय के सहायक थे,ने इस कॉलेज को प्रारंभ करने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया| वे घड़ियों को बेचने के लिए स्कॉटलैंड से कलकत्ता आये थे,लेकिन बाद में बंगाल में आधुनिक शिक्षा का प्रसार ही उनके जीवन का उद्देश्य बन गया|

1826 ई. में 17 साल के युवा हेनरी विवियन डेरेजियो,जिनके पिता पुर्तगाली मूल के थे और माता एक अंग्रेज थी, ने शिक्षक के रूप में हिन्दू कॉलेज में प्रवेश किया| उन्होंने कुछ ही समय मं  कॉलेज के सबसे बेहतरीन लड़कों को अपने अपनी ओर आकर्षित कर लिया और उन्हें लगातार बंधनों से मुक्त होकर सोचने के लिए प्रेरित करते रहे और स्थापित सत्यों व प्राधिकारों के प्रति प्रश्नाकुलता का भाव जगाते रहे| डेरेजियो ने अपनी शिक्षाओं और विज्ञान,इतिहास,दर्शन, साहित्य आदि पर चर्चाओं के आयोजन के माध्यम से क्रांतिकारी विचारों को प्रोत्साहित किया| अपनी इन गतिविधियों के द्वारा डेरेजियो ने कलकत्ता के युवाओं को व्यवहारिक रूप से प्रभावित किया और उनके बीच एक बौद्धिक आन्दोलन की शुरुआत की|

डेरेजियो और यंग बंगाल

डेरेजियो के छात्रों,जिन्हें सम्मिलित रूप से यंग बंगाल कहा जाता था,ने सभी पुरानी सामाजिक परम्पराओं व रीति-रिवाजों का उपहास उड़ाया,ईश्वर के अस्तित्व को लेकर चर्चाएँ आयोजित कीं,सामाजिक व धार्मिक रूढ़ियों को चुनौती दी,विचारों व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की मांग की और महिलाओं के लिए शिक्षा की वकालत की| उन्होंने फ्रांस की क्रांति के आदर्शों और इंग्लैंड की  उदारवादी सोच को महत्व दिया|इस समूह के अत्यधिक उग्रवादी विचारों व धार्मिक मूर्तियों के प्रति आदर प्रदर्शित न करने जैसे उनके कार्यों ने बंगाल के रूढ़िवादी हिन्दुओं को नाराज कर दिया| उनका मानना था की यंग बंगाल की इस उग्र सोच के लिए डेरेजियो की शिक्षाएं जिम्मेदार है और उन्होंने हिन्दू कॉलेज के सक्षम अधिकारियों पर डेरेजयो को बर्खास्त करने के लिए दबाव डाला| डेरेजियो की बर्खास्तगी और 1831 ई. में अचानक उनकी मृत्यु के बाद भी यंग बंगाल आन्दोलन जारी रहा| नेतृत्व के आभाव में भी इस समूह के सदस्य शिक्षा व पत्रकारिता के माध्यम से अपने उग्र विचारों का प्रसार करते रहे|

विचार एवं शिक्षाएं

• डेरेजियो ने अपनी शिक्षाओं और विज्ञान,इतिहास,दर्शन, साहित्य आदि पर चर्चाओं के आयोजन के माध्यम से क्रांतिकारी विचारों को प्रोत्साहित किया|

• डेरेजियो युवा छात्रों के बीच बौद्धिक क्रांति का प्रसार करना चाहते थे|

• वे उदारवादी सोच के प्रबल समर्थक थे|

• वे विचारों व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और महिलाओं के लिए शिक्षा के भी प्रबल समर्थक थे |

• सामाजिक व धार्मिक रूढ़ियों का विरोध किया |

• उन्होंने कहा कि उग्र या क्रांतिकारी विचार धर्म-दर्शन का मूल थे|

• उन्होंने पुरानी सामाजिक परम्पराओं व रीति-रिवाजों का उपहास उड़ाया,ईश्वर के अस्तित्व को लेकर चर्चाएँ आयोजित कीं|

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