ग्रंथियां मानव शरीर का वह अंग हैं जो कुछ तरल उत्पादों का निर्माण करती हैं, जो आंतरिक या बाह्य रूप से कोशिकाओं से छिपी होती हैं. मुख्य रूप से दो प्रकार की ग्रंथियां होती हैं, नलिका ग्रंथियां (ducted glands) और नलिकाविहीन ग्रंथियां (ductless glands). नलिका ग्रंथि अपने उत्पादों को नलिकाओं के माध्यम से प्रवाह करती है जैसे कि यकृत, लार, पसीने की ग्रंथियां आदि. जबकि नलिकाविहीन ग्रंथियों को आंतरिक रूप से स्रावित ग्रंथियां या अंतःस्रावी ग्रंथियों के रूप में जाना जाता है. मस्तिष्क के निर्देशों के अनुसार वे अपने उत्पादों या हार्मोन को सीधे रक्त में प्रवाह करती हैं. रक्त इन उत्पादों को शरीर के चारों ओर ले जाता है, जहां वे आंतरिक रासायनिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करती हैं. इसलिए वे तंत्रिका तंत्र और संचार प्रणाली के साथ जुड़ी होती हैं. उनके स्राव को हार्मोन या एंजाइम के रूप में जाना जाता है. यह लेख नलिकाविहीन ग्रंथियां, मानव शरीर में यह कहा उपस्थित हैं, इनका क्या कार्य है आदि से सम्बंधित हैं.
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मानव शरीर में उपस्थित नलिकाविहीन ग्रंथियां
1. थाइमस (Thymus) ग्रंथि (Thymus Gland)
अवस्थित (Located): छाती के शीर्ष के पीछे ट्रेकिआ (trachea) के सामने स्थित संरचना वाली ग्रंथि.
कार्य (Function) : प्रारंभिक बचपन में बीमारी और शारीरिक विकास के लिए प्रतिरोध (प्रतिरक्षा) का निर्माण करने में कुछ भूमिका निभाता है.
2. थायराइड ग्रंथि (Thyroid Gland)
अवस्थित (Located): सभी रीढ़ की हड्डी वाले जानवरों में पाए जानी वाली दो-गोलाकार ग्रंथि जो कि ट्रेकिआ (trachea) के सामने और उसके दोनों ओर स्थित है.
स्राव (Secretion): यह थायरॉक्सीन को स्रावित करता है, जिसमें 65% आयोडीन होता है. उत्पादन की दर पिट्यूटरी ग्रंथि (pituitary gland) द्वारा नियंत्रित होती है.
कार्य (Function) : यह मानव शरीर में चयापचय (metabolism) को नियंत्रित करता है. इसकी कमी से बड़ों में क्रिटिनिज्म (cretinism), मिक्सोडीमा (myxodema) या गिल की बीमारी (gill’s disease) और बच्चों में नाटा पन हो जाता है. इसकी कमी से घेंगा (goitre) यानी थायराइड ग्रंथि के आकार में वर्धि भी हो जाती हैं.
3. पैरा थायराइड ग्रंथि Parathyroid Gland)
अवस्थित (Located): चार, छोटे गुर्दे के आकार की ग्रंथियां जो थायराइड ग्रंथियों के निकट या भीतर स्थित हैं.
स्राव (Secretion): यह पैराथहॉर्मोन (parathormone)को स्रावित् करती हैं.
कार्य (Function): रक्त में कैल्शियम के स्तर को बढ़ाता है और नियंत्रित करता है. इसकी कमी टेटीनी (tetany)का कारण बनती है. विकास में मदद करता है. इन ग्रंथियों को शरीर से हटाने पर मृत्यु हो सकती है.
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4. प्रोस्टेट ग्रंथि (Prostrate Gland)
अवस्थित (Located): मूत्राशय और मूत्रमार्ग के आसपास, पुरुषों में मौजूद एक ग्रंथि. मूत्र इसी के माध्यम से पारित होता है.
स्राव (Secretion): प्रोस्टेटिक स्राव, शुक्राणुओं और अन्य तरल पदार्थों से मिलकर बनता है जिसे वीर्य या सीमेन कहते हैं.
कार्य (Function): रक्तचाप और यौन शक्ति से संबंधित मानव शरीर के सामान्य कार्यों के लिए स्राव आवश्यक है. 50 से ऊपर के इंसान में इस ग्रंथि के आकार का बढ़ना आम है लेकिन यदि किसी भी प्रकार का विकार होता है तो सर्जरी से इसको हटाया जाता है.
5. जनन-ग्रंथि या गॉन्ऐड (Gonads)
अवस्थित (Located): ये पुरूषों के वृषणों और महिला के अंडाशय में मौजूद प्रजनन ग्रंथियां हैं.
स्राव (Secretion): गॉन्ऐडोट्रॉफिन्स (Gonadotrophins) को स्रावित् करती हैं.
कार्य (Function): शरीर के प्रजनन तंत्र से संबंधित, सेक्स हार्मोन के स्राव को बढ़ाता है.
6. अधिवृक्क ग्रंथि (Adrenal Gland)
अवस्थित (Located): दो छोटे असमान ग्रंथियां, प्रत्येक गुर्दा से ऊपर, जिसमें कॉर्टेक्स और मेडुला होते हैं.
स्राव (Secretion): कोर्टेक्स corticosteroid और मेडुला सेक्स हॉर्मोन को स्रावित करता है जिसमें एड्रेनालाईन (adrenaline) और कॉर्टिसोन (cortisone) भी होते है.
कार्य (Function): साँस का त्वरण, छोटे रक्त वाहिकाओं के संकुचन और चयापचय दर को बढ़ाती है. इसके अलावा भावना और शारीरिक शक्ति में अचानक वृद्धि का कारण बनती है, डर, क्रोध, यौन विकास को और मानव शरीर के लगभग सभी कार्यों को नियंत्रित करती है. यह हृदय के रक्तचाप और कार्य को भी नियंत्रित करती है. इसकी वृद्धि एडिसन रोग का कारण बनती है.
7. अग्न्याशय ग्रंथि (Pancreas Gland)
अवस्थित (Located): पेट के पास स्थित नरम अनियमित 15 सेमी लंबी ग्रंथि. जो की पेड़ की पत्ती जैसी दिखती है.
स्राव (Secretion): अग्नाशय रस को पाचनांत्र में स्रावित करती है और इसमें लैंगरहँस के इस्लेट (Islets of Langerhans)शामिल होते हैं. यह इंसुलिन का उत्पादन करते हैं, जो कि एक स्पष्ट स्राव क्षारीय होता है, जिसमें एंजाइम होते हैं.
कार्य (Function): प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा के पाचन में मदद करती है. अगर यह सही से काम ना करें तो मधुमेह यानी डायबिटीज हो सकती है.
8. पिट्यूटरी ग्रंथि (Pituitary Gland)
अवस्थित (Located): मस्तिष्क में कशेरुकाओं के आधार से जुड़ा हुआ एक छोटा अंडाकार आकार की ग्रंथि जिसे हाइपोफिसिस (hypophysis) भी कहा जाता है.
स्राव (Secretion): अग्रिम पिट्यूटरी ग्रंथि निम्न हार्मोन का उत्पादन करती है और उन्हें रक्तप्रवाह में स्रावित करती है: एड्रोनोकॉर्टिकोट्रोपिक (adrenocorticotropic) हार्मोन, जो स्टेरॉयड (steroid) हार्मोन को निकलने के लिए अधिवृक्क ग्रंथियों को उत्तेजित करती है, मुख्यतः कोर्टिसोल, विकास हार्मोन, जो विकास को नियंत्रित करती है, चयापचय और शरीर की संरचना में भी मदद करती है.
कार्य (Function): यह मास्टर ग्लैंड के रूप में भी जाना जाती है जो अंतःस्रावी ग्रंथियों को नियंत्रित करती है और साथ ही विकास और चयापचय को भी प्रभावित करती है. शरीर के मानसिक, यौन और शारीरिक विकास को नियंत्रित करने वाले हार्मोन को स्रावित करती है. इसकी कमी के कारण बौनापन हो सकता है. अगर यह हॉर्मोन अतिरिक्त मात्रा में निकलता है तो शरीर में वृद्धि हो सकती है जिसे एक्रोमगाली (Acromegaly) कहते है.
इस लेख में विभिन्न नलिकाविहीन ग्रंथियों, उनके स्राव, स्थानों और कार्यों के बारे में अध्ययन किया है.
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