गर्ल चाइल्ड डे (24 जनवरी): गर्ल्स के लिए भारत सरकार की प्रमुख योजनायें

Jan 24, 2020, 11:35 IST

महिलाओं के विकास के बिना देश और समाज का विकास अधूरा है.इसीलिए सरकार ने बच्चियों के सशक्तिकरण और विकास के लिए सुकन्या समृद्धि योजना और कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाओं की शुरुआत की है. आइये इस गर्ल चाइल्ड डे (24 जनवरी) के मौके पर जानते हैं कि सरकार ने गर्ल्स के कल्याण के लिए कौन सी योजनायें शुरू की हैं?

National Girl Child Day:24 January
National Girl Child Day:24 January

किसी भी समाज के विकास का सीधा सम्बन्ध उस समाज की महिलाओं के विकास से जुड़ा होता है | महिलाओं के विकास के बिना व्यक्ति, परिवार और समाज के विकास की कल्पना भी नही की जा सकती है | महिलाओं के विकास के लिए सरकार ने कुछ योजनाओं जैसे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, उज्ज्वला योजना, सुकन्या समृद्धि योजना और कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना आदि की शुरुआत की है | आइए इन योजनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं |

महिला सशक्तिकरण के लिए बनाई गई योजनाएं निम्न हैं:

1. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम:

I. बालिकाओं के अस्तित्व, संरक्षण और शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 22 जनवरी, 2015 को पानीपत, हरियाणा में इस कार्यक्रम की शुरूआत की गई थी|

II. इस कार्यक्रम का उद्देश्य लड़कियों के गिरते लिंगानुपात के मुद्दे के प्रति लोगों को जागरूक करना है|

III. इस कार्यक्रम का समग्र लक्ष्य लिंग के आधार पर लड़का और लड़की में होने वाले भेदभाव को रोकने के साथ साथ प्रत्येक बालिका की सुरक्षा, शिक्षा और समाज में स्वीकृति सुनिश्चित करना है|

2. किशोरियों के सशक्तिकरण के लिए राजीव गांधी योजना (सबला)

I. केन्द्र सरकार द्वारा प्रायोजित इस कार्यक्रम की शुरूआत 1 अप्रैल, 2011 को की गई थी|

II. इस कार्यक्रम को ‘महिला एवं बाल विकास मंत्रालय’ की देख-रेख में चलाया जा रहा है|

III. इस कार्यक्रम के तहत भारत के 200 जिलों से चयनित 11-18 आयु वर्ग की किशोरियों की देखभाल ‘समेकित बाल विकास परियोजना’ के अंतर्गत की जा रही है| इस कार्यक्रम के तहत लाभार्थियों को 11-15 और 15-18 साल के दो समूहों में विभाजित किया गया है|

IV. इस योजना के तहत प्राप्त होने वाले लाभों को दो समूहों में विभाजित किया गया है: (a).पोषण (11-15 वर्ष तक की लड़कियों को पका हुआ खाना दिया जाता है) (b). गैर पोषण (15-18 वर्ष तक की लड़कियों को आयरन की गोलियां सहित अन्य दवाइयां मिलती हैं)|

समाज के विभिन्न वर्गों के लिए प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गयी कल्याणकारी योजनायें

3. इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना:

I. यह मातृत्व लाभ कार्यक्रम 28 अक्टूबर, 2010 को शुरू किया गया था|

II. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य 19 साल या उससे अधिक उम्र की गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को पहले दो बच्चों के जन्म तक वित्तीय सहायता प्रदान करना है।

III. इस कार्यक्रम के तहत सरकार द्वारा नवजात शिशु और स्तनपान कराने वाली माताओं की बेहतर देखभाल के लिए दो किस्तों में 6000 रूपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है|

IV. यह कार्यक्रम ‘महिला एवं बाल विकास मंत्रालय’ द्वारा चलाया जा रहा है|

4. कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना:

I. इस योजना का शुभारम्भ 2004 में किया गया था |

II. यह योजना वर्ष 2004 से उन सभी पिछड़े क्षेत्रों में क्रियान्वित की जा रही है जहाँ ग्रामीण महिला साक्षरता की दर राष्ट्रीय स्तर से कम हो|

III. इस योजना में केंद्र व राज्य सरकारें क्रमशः 75% और 25%  खर्च का योगदान करेंगे |

IV. इस योजना का मुख्य लक्ष्य 75% अनुसूचित जाति/जनजाति/अत्यन्त पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक समुदाय की बालिकाओं तथा 25% गरीबी रेखा से नीचे वाले परिवार की बच्चियों का दाखिला कराना है |

V. योजना में मुख्य रूप से ऐसी बालिकाओं पर ध्यान देना जो विद्यालय से बाहर हैं तथा जिनकी उम्र 10 वर्ष से ऊपर है।

5. प्रधानमन्त्री उज्ज्वला योजना:

I. इस योजना की शुरुआत प्रधामंत्री मोदी द्वारा 1 मई 2016 को की गई थी |

II. इस योजना के अंतर्गत गरीब महिलाओं को मुफ्त एलपीजी गैस कनेक्शन मिलेंगे|

III. योजना का मुख्य उद्देश्य महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना और उनकी सेहत की सुरक्षा करना है।

IV. इस योजना के माध्यम से सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में खाना बनाने में इस्तेमाल होने वाले जीवाश्म ईंधन की जगह एलपीजी के उपयोग को बढ़ावा देकर पर्यावरण को स्वच्छ रखने में महिलाओं की भूमिका को बढ़ाना चाहती है |

6. स्वाधार घर योजना:

I. इस योजना को 2001-02 में शुरू किया गया था |

II. इस योजना को 'महिला एवं बाल विकास मंत्रालय' के माध्यम से चलाया जा रहा है |

III. इस योजना का उद्देश्य वेश्यावृत्ति से मुक्त महिलाओं, रिहा कैदी, विधवाओं, तस्करी से पीड़ित महिलाओं, प्राकृतिक आपदाओं, मानसिक रूप से विकलांग और बेसहारा महिलाओं के पुनर्वास की व्यवस्था करना है।

IV. इस योजना के अंतर्गत विधवा महिलाओं के भोजन और आश्रय, तलाक शुदा महिलाओं को कानूनी परामर्श, चिकित्सा सुविधाओं और महिलाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण जैसी सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं|

V. इस योजना के माध्यम से महिलाओं को अपना जीवन फिर से शुरू करने के लिए शारीरिक और मानसिक मजबूती प्रदान की जाती है ताकि वे अपने पैरों पर खड़ी हो सकें|

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7. महिलाओं के लिए प्रशिक्षण और रोजगार कार्यक्रम (STEP)

I. इस योजना की शुरुआत 1986-87 में एक केन्द्रीय योजना के रूप में की गयी थी |

II. इस योजना को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के माध्यम से चलाया जा रहा है |

III. योजना का मुख्य उद्येश्य महिलाओं का कौशल विकास कराकर उनको इस लायक बनाना है कि वे स्व-रोजगार या उद्यमी बनने का हुनर प्राप्त कर सकें |

IV. इस योजना का मुख्य लक्ष्य 16 वर्ष या उससे अधिक की लड़कियों/महिलाओं का कौशल विकास करना है |

V. इस योजना के तहत अनुदान सीधे राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को न देकर संस्था/संगठन यहाँ तक कि गैर सरकारी संगठन को सीधे ही पहुँचाया जाता है |

सारांश:

उपर्युक्त योजनाओं के माध्यम से इतना तो स्पष्ट हो जाता है कि सरकार महिलाओं के समग्र विकास के लिए हर तरह के प्रयास काफी लम्बे समय से करती आ रही है और यही कारण है कि आज समाज में महिलाओं की भूमिकाओं में बहुत तरह के बदलाव भी दिखायी देने लगे हैं | आज शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र होगा जहाँ पर महिलाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज ना करायी हो |

यह उम्मीद भी की जाती है कि आगे आने वाले समय में बेटी बचाओ-बेटी पढाओ, प्रधानमन्त्री उज्ज्वला योजना, कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना और किशोरियों के सशक्तिकरण के लिए राजीव गांधी योजना (सबला) के सकारात्मक परिणाम सभी के सामने आयेंगे .

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Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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