Chandni Chowk History: दिल्ली दिलवालों की कही जाती है। यह देश राजपूताना शासन, मुगल शासन और ब्रिटिश काल से एक मजबूत इतिहास रखता है। देश की राजधानी दिल्ली, देश के उत्तर में एक विशाल महानगरीय क्षेत्र है। पुरानी दिल्ली में, जो 1600 के दशक का एक इलाका है, भारत का प्रतीक, मुगलकालीन भव्य लाल किला और विशाल जामा मस्जिद स्थित है। पास ही चांदनी चौक है, जो खाने-पीने के ठेलों, मिठाइयों की दुकानों और मसालों की दुकानों से भरा एक बाज़ार है।
दिल्ली के चांदनी चौक में दूर-दूर से लोग शॉपिंग के लिए आते हैं। राजधानी का यह मशहूर बाजार ज्यादातर शादियों और अन्य समारोह की मार्केटिंग के लिए परफेक्ट जगह मानी जाती है। आज भी लोग दूर-दूर से यहां तक की दूसरे राज्यों से भी चांदनी चौक में शॉपिंग करने के लिए आते हैं, लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि आखिर इसका नाम चांदनी चौक कैसे पड़ा? शायद नहीं, आइए आज जानते हैं इस जगहे को यह नाम किसने और कब दिया और कैसे कैसे यह यह शहर इतना प्रसिद्ध हुआ, दिल्ली के इस पुराने बाजार की शुरुआत कैसे हुई।
कब बना चांदनी चौक बाजार?
चांदनी चौक महिलाओं की शॉपिंग के लिए सबसे पसंदीदा बाजारों में से एक है, लेकिन यह बाजार आज-कल से नहीं बल्कि सदियों से प्रसिद्ध है। पुराने समय में भी यह बाजार शॉपिंग के लिए महिलाओं की पहली पसंद रहा है और यही कारण है कि एक महिला की पसंद ने इस बाजार को नाम दे दिया। इस बाजार को मुगल शासक शाहजहां के शासन काल दौरान बनवाया गया था।
पूरे दिल्ली में कितने रेलवे स्टेशन हैं?
कहा जाता है कि जब मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी राजधानी आगरा से दिल्ली स्थानांतरित की, तो उन्होंने एक नया शहर शाहजहांनाबाद बसाया और यहां अपने लिए लाल किला भी बनवाया। वर्तमान में इसे पुरानी दिल्ली के नाम से भी जाना जाता है। लाल किले के सामने वाले मौजूद बाज़ार को चांदनी चौक भी कहा जाता है।
कैसे और किसने बनवाया यह बाजार?
इस बाजार का निर्माण 1650 के दशक में हुआ था। दरअसल, शाहजहां की बेटी जहांआरा खरीदारी की बड़ी ही शौकीन थीं और अपनी इसी शौक को पूरा करने के लिए वह अलग-अलग बाजारों से चीजें खरीदा करती थीं। जब यब बात शाहजहां को पता चला तब उन्होंने अपनी बेटी के शौक पूरे करने के लिए एक खास बाजार बनाने का सोचा। बस फिर क्या, जहांआरा ने अपनी खरीदी का शौक पूरा करने के लिए इस बाजार को अपने हिसाब से डिजाइन करवाया और तब से ही दिल्ली के इस पुराने बाजार की शुरुआत हुई।
कैसे पड़ा नाम चांदनी चौक?
ये तो थी इस बाज़ार के निर्माण की कहानी, लेकिन अब सवाल ये उठता है कि इसका नाम चांदनी चौक क्यों पड़ा? इसका जवाब भी हम आपको बताते हैं। दरअसल, जब इस बाज़ार का निर्माण हुआ था, तब इसका आकार अर्ध-गोलाकार यानी आधे चांद जैसा था। इतना ही नहीं, इस बाज़ार में नहरें और तालाब भी थे, जिन पर जब चांदनी पड़ती थी, तो पूरा बाज़ार चांदनी से जगमगा उठता था और इसीलिए इसका नाम चांदनी चौक पड़ा।
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